कैलाशपति मिश्र,पटना
बिहार की महिलाएं भी अब पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सभी क्षेत्रों में काम कर रही हैं.घर के दहलीज के अंदर रहकर परिवार और बच्चों को संभालने वाली महिलाओं ने बदलते वक्त के साथ अपना दायरा भी बढ़ाया है.अब परिवार और बच्चों को संभालने के साथ-साथ निर्णय लेने में भी आगे आ रही है.आज राज्य की 84.04% महिलाएं घरेलू निर्णय लेने में भागीदारी कर रही हैं.इसमें शहर की तुलना में ग्रामीण महिलाओं का औसत अधिक है.शहर में 84.04% और ग्रामीण क्षेत्र में 87.02 % महिलाएं निर्णय लेने में भागीदारी करती है.यह खुलासा केंद्रीय सांख्यिकी कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ है.
रिपोर्ट के अनुसार घर और जमीन के मामले में भी महिलाओं की स्थिति बदली है. राज्य की 54.4 % महिलाएं अकेले या संयुक्त रूप घर की मालकिनी है. वहीं, 43.8% महिलाओं के पास स्वयं या संयुक्त रूप से जमीन का स्वामित्व है.यह एक बड़ा बदला है.
राज्य के स्टार्ट अप में बढ़ रही है महिला डायरेक्टरों की संख्याडिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआइआइटी) के आंकड़ों के अनुसार राज्य के स्टार्ट अप में भी महिला डायरेक्टर की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. वर्ष 2022 में 257, 2023 में 348 और 2024 में 418 स्टार्ट अप ऐसे हैं,जिसमें कम से कम एक महिला डायरेक्टर हैं.
केंद्र सरकार की आर्थिक समीक्षा 2024-25 के मुताबिक, बिहार में महिला श्रम बल भागीदारी दर वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 20% हो गई है, जो वर्ष 2017-18 तक केवल 03% थी.यानी बिहार के श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी पिछले छह वर्षों में करीब सात गुनी बढ़ी है.
38 लाख से अधिक महिलाएं बनीं निबंधित किसान
बिहार की महिलाएं भी अब परिवार चलाने के साथ-साथ खेती, पशुपालन एवं मत्स्य पालन का कमान संभालने लगी हैं.कृषि एवं ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़े इसके प्रमाण हैं.सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार 38 लाख से अधिक परिवार से जुड़ी महिलाएं जीविका समूह के साथ कृषि एवं पशुपालन से संबंधित योजनाओं का डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से लाभ ले रही हैं.ये महिलाएं घर चलाने के साथ ही घर का खर्च चलाने में भी सक्षम हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है