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आचार्य शत्रुघ्न प्रसाद भारत को अंदर से मजबूत करना चाहते थे : राज्यपाल

साहित्यकार के लिए कल्पना शक्ति होना अति आवश्यक होता है.

संवाददाता, पटना

साहित्यकार के लिए कल्पना शक्ति होना अति आवश्यक होता है. हमारे यहां रामायण और महाभारत को महाकाव्य माना गया है. ये बातें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आचार्य शत्रुघ्न प्रसाद शोध संस्थान द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में कहीं. यह कार्यक्रम पटना स्थित बिहार विधान परिषद् सभागार में आयोजित किया गया था. इसमें ””श्रावस्ती का विजय पर्व”” और ””भवभूति: कृतित्व, कला दर्शन”” विषयक दो सत्रों में विमर्श हुए. राज्यपाल ने शत्रुघ्न प्रसाद के बारे में कहा कि ऐतिहासिक उपन्यासकार आचार्य शत्रुघ्न प्रसाद के सभी उपन्यासों में भारत के आंतरिक कमजोरियों और उसके कारणों की पड़ताल है. इस कार्यक्रम के संयोजक प्रो आनंद प्रसाद गुप्ता थे. सत्र का संचालन शोध संस्थान के महासचिव डॉ अरुण कुमार ने किया. उद्घाटन सत्र में बिहार विधान परिषद् के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने आचार्य के साथ बीते दिनों को याद किया. उन्होंने बताया कि कैसे वे हमेशा समाज और राष्ट्र के लिए चिंतित रहते थे. वहीं काशी हिंदू विवि के हिंदी के आचार्य डॉ अशोक कुमार ज्योति ने अपने वक्तव्य में उपन्यास में न्यस्त विनोद और परिहास के संदर्भों के शिल्प-वैशिष्ट्य का रेखांकन किया.

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