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फिल्म अभिनेता मनोज कुमार को पसंद था बिहार का सत्तू व मकई का आटा

फिल्म इंडस्ट्री पर 50 वर्षों तक राज करने वाले फिल्म स्टार मनोज कुमार को मुजफ्फरपुर का सत्तू और मकई का आटा बहुत पसंद था. वह अक्सर यहां से सत्तू और मकई का आटा मंगवाया करते थे. वर्ष 1970 से शुरू हुआ यह सिलसिला तीस वर्षों तक चला. बिहार के फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर डीएन झा बताते हैं कि वर्ष 1970 में पूरब पश्चिम फिल्म की खरीदारी करने फिल्म निर्माता जवाहर झा के साथ मंबई स्थित अभिनेता व प्रोड्यूसर मनोज कुमार के घर गये थे.

बिहार के फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर डीएन झा से था अच्छा संबंध मनोज कुमार की कई फिल्मों का किया था बिहार में डिस्ट्रीब्यूशन 1970 में पूरब और पश्चिम फिल्म की खरीद के समय हुई थी पहली भेंट मनोज कुमार हमेशा कहते थे, सत्तू और मकई का आटा लेकर आना मुजफ्फरपुर @विनय फिल्म इंडस्ट्री पर 50 वर्षों तक राज करने वाले फिल्म स्टार मनोज कुमार को मुजफ्फरपुर का सत्तू और मकई का आटा बहुत पसंद था. वह अक्सर यहां से सत्तू और मकई का आटा मंगवाया करते थे. वर्ष 1970 से शुरू हुआ यह सिलसिला तीस वर्षों तक चला. बिहार के फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर डीएन झा बताते हैं कि वर्ष 1970 में पूरब पश्चिम फिल्म की खरीदारी करने फिल्म निर्माता जवाहर झा के साथ मंबई स्थित अभिनेता व प्रोड्यूसर मनोज कुमार के घर गये थे. पहली बार उनसे वहीं भेंट हुई. पहली मुलाकात के बाद ही हमलोगों का संबंध अच्छा बन गया था. बिहार में फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन के लिये मुंबई अक्सर आना-जाना होता था तो मनोज कुमार से मिलना-जुलना भी हो जाता था. एक बार मैं यहां से चना का सत्तू और मकई का आटा लेकर गया तो उन्हें बहुत पसंद आया. इसके बाद वह हमेशा मुझे सत्तू और मकई का आटा लाने को कहते. मैं जब भी मुंबई जाता तो अपने साथ उनकी पसंद की चीजें ले जाता. वर्ष 1974 में जब रोटी कपड़ा और मकान रिलीज हुई तो बिहार का डिस्ट्रीब्यूशन मैंने ही लिया. इसके बाद 1981 में क्रांति फिल्म भी खरीदी. उस वक्त प्रोडक्शन का काम मनोज कुमार की पत्नी शशि गोस्वामी देख रही थीं, लेकिन मनोज कुमार की सहमति के बाद ही फिल्में मिलती थी. उन्हें बिहार की राजनीति का भी अच्छा ज्ञान था और इस पर चर्चा भी किया करते थे जय हिंद फिल्म के बाद से टूट गया मिलने का सिलसिला डिस्ट्रीब्यूटर डीएन झा बताते हैं कि उनके प्रोडक्शन की अंतिम फिल्म जय हिंद 1999 में रिलीज हुई थी. उसकी खरीदारी के बाद से उनसे मिलने जुलने का सिलसिला टूट गया. इसके बाद से वह बीमार रहने लगे और उनके प्रोडक्शन से भी फिल्में नहीं आयी. इसके बाद फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन का तरीका भी बदल गया. फिर उनसे भेंट नहीं हो पायी. उनके निधन से मर्माहत हूं. पुरानी कई स्मृतियां आज भी जेहन में जिंदा है.

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