American professor: अमेरिकी प्रोफेसर वॉल्टर हाउजर की अस्थियों का विसर्जन पटना के गंगा-दीघा घाट पर हिन्दू रीति-रिवाजों के साथ किया गया. उनके साथ उनकी पत्नी रोजमेरी हाउजर की अस्थियां भी गंगा में प्रवाहित की गई. यह केवल एक श्रद्धांजलि ही नहीं बल्कि, बिहार के प्रति आत्मीयता और प्रेम का प्रदर्शन था.
पटना से था गहरा लगाव
वॉल्टर हाउजर का बिहार के साथ सिर्फ काम-काज का ही रिश्ता नहीं था बल्कि बिहार को अपना दूसरा घर भी मानते थे. प्रोफेसर हाउजर और उनकी पत्नी का पटना से काफी गहरा लगाव था. उनकी अंतिम इच्छा थी की उनका दाह संस्कार हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार हो और फिर अस्थि अवशेषों को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाये. इस अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिये उनका परिवार अमेरिका से पटना पंहुचा, जहां दीघा के पर्यटन घाट में स्थित गंगा क्रूज पर विधिवत पूजा के बाद अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया.
पहली बार 1957 में आए थे भारत
बता दें कि प्रोफेसर हाउजर पहली बार 1957 में भारत आए थे. उन्हें भारतीय किसान आंदोलन में गहरी रुचि थी. खासकर स्वामी सहजानंद सरस्वती के नेतृत्व वाले आंदोलनों के साथ उनका गहरा लगाव था. वे पहले ऐसे विदेशी इतिहासकार थे जिन्होंने स्वामी सहजानंद और बिहार प्रोविंशियल किसान सभा (1929–1942) पर गहराई से रिसर्च किया. यही नहीं, 1961 में उन्होंने इस विषय पर पीएचडी भी की. उनके द्वारा किया गया रिसर्च आज भी भारतीय किसान आंदोलनों पर अध्ययन के लिए एक अहम डॉक्यूमेंट माना जाता है.
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1927 में वर्जिनिया में हुआ था जन्म
वॉल्टर हाउजर अमेरिका के वर्जिनिया विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर थे. अपने जीवनकाल में उन्होंने 6 छात्रों को बिहार पर रिसर्च करने के लिये प्रेरित किया था. इन छात्रों में प्रो. विलियम पिंच और प्रो. वेंडी सिंगर जैसे नाम शामिल हैं, जिन्होंने बिहार पर अनेकों लेख और पुस्तकें लिखी है. प्रो हाउजर का जन्म 1927 में वर्जिनिया में हुआ था लेकिन अपने वयस्क जीवन के कई महत्वपूर्ण साल उन्होंने बिहार में गुजारे थे. उनका ये आखरी सफर बिहार के प्रति प्रेम और सद्भावना का प्रतीक बना.
(मृणाल कुमार की रिपोर्ट)
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