संवाददाता, पटना राजधानी के पुनाईचक स्थित एलएनजेपी हड्डी अस्पताल में कूल्हे का इलाज कराने आयी 76 वर्ष की बूढ़ी महिला की मौत हो गयी. मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों ने महिला के उपचार के दौरान जरूरत से अधिक एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया था. उसके बाद ही महिला की मौत हो गयी. अस्पताल कर्मियों से मिली जानकारी के अनुसार एलएनजेपी हड्डी अस्पताल में राजधानी के संपतचक की रहने वाले 76 वर्षीय बूढ़ी महिला खदेड़न देवी कुल्हा टूटने का इलाज करवाने के लिए अस्पताल में भर्ती थी. शनिवार को दोपहर करीब 12 बजे ऑपरेशन के लिए बूढ़ी महिला को एनेस्थीसिया दवा का इंजेक्शन पड़ते ही महिला का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा, जिसके थोड़ी ही देर बाद बूढ़ी महिला ने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया. अस्पताल में मौजूद 76 वर्षीय महिला की बहु-बेटे व अन्य परिजनों ने हंगामा किया. मृत महिला के बहु व बेटे ने अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों पर एनेस्थीसिया अधिक देने का आरोप लगाया है. हालांकि थोड़ी देर हंगामा करने के बाद वे मृत महिला खदेड़न देवी को अस्पताल परिसर से लेकर चले गये. वहीं अस्पताल के निदेशक सुभाष चंद्रा ने आरोप को गलत बताया और कहा कि इंजेक्शन जूनियर डॉक्टरों ने नहीं दिया है. एनेस्थीसिया का इंजेक्शन सीनियर डॉक्टरों ने दिया था. महिला का इलाज अस्पताल के निदेशक डॉ सुभाष चंद्रा ही कर रहे थे. बूढ़ी महिला हाइ रिस्क मरीज थी : सुभाष चंद्रा कुल्हा टूटने के बाद 3 जून को 76 वर्षीय खदेड़न देवी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 26 दिनों से अस्पताल में बेड संख्या- सी5 पर उनका इलाज किया जा रहा था. अस्पताल के निदेशक सुभाष चंद्रा ने बताया कि 76 वर्षीय बूढ़ी महिला एक हाइ रिस्क मरीज थी. इस उम्र में अक्सर हार्ट व फेफड़ा संबंधित समस्या का होती है. कुल्हा टूटते ही उनके परिजनों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया था. लेकिन उनका ऑपरेशन करना पड़ा, क्योंकि महिला को बिस्तर पर बेड शोर जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता था. सुबह तक आसपास के मरीजों से की बातचीत अस्पताल में बेटे का इलाज करवा रही एक महिला ने बताया कि सुबह में बूढ़ी महिला खदेड़न देवी ने आसपास के मरीजों से बातचीत भी की है. उस समय उनकी स्थिति ठीक-ठाक दिख रही थी. हालांकि कूल्हे के इलाज के दौरान उनको दिया गया टांका पक चुका था, जिससे उन्हें काफी दर्द रहता था.
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