संवाददाता, पटना
स्कूली ऑटो पर से रोक हटने के बाद इसका परिचालन फिर से शुरू कर दिया गया है. स्कूलों में शुरू हुए नये सत्र में इस बार ऑटो का परिचालन मानकों के साथ करना होगा. इसमें स्कूली ऑटो अपने पीछे वाले सीट पर मात्र तीन बच्चों को ही बिठा सकेंगे और सीट पर दरवाजा लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. लेकिन बच्चा बिठाने की संख्या कम होने के कारण स्कूली ऑटो ने मनमाने तरीके से किराया बढ़ाने का निर्णय लिया है. मिली जानकारी के अनुसार बीते साल स्कूली सेवा में चलने वाले ऑटो का पांच किमी का किराया 1500 से बढ़ाकर करीब 2000 से 2500 तक करने का निर्णय लिया है. इस विषय पर ऑटो संघ का कहना है कि बीते 12 सालों से ऑटो के किराये पर विभाग ने विचार नहीं किया है. जबकि इस पर कई बार ऑटो यूनियन ने परिवहन विभाग को जानकारी दी है. इसके बावजूद भी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. ऐसा नहीं होने पर इसका सीधा फायदा स्कूली ऑटो चालकों को मिल रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि शहर में करीब पांच हजार ऐसे ऑटो हैं, जिनका परिचालन स्कूली सेवा में किया जाता है.कई बार दिया गया ज्ञापन, लेकिन अब तक नहीं हुआ कोई फैसला : ट्रांसपोर्ट फेडरेशन
स्कूलों में बसों के परिचालन के बारे में बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के अध्यक्ष उदय शंकर ने बताया कि स्कूली वाहनों का किराया निर्धारण करने को लेकर कई बार यूनियन की तरफ से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जा चुका है. लेकिन इस पर अब तक कोई फैसला नहीं किया गया है. अधिकांश स्कूलों में बसों का परिचालन निजी एजेंसियों की तरफ से किया जाता है. जिस पर एजेंसी व स्कूल प्रशासन अपने समन्वय से किराया बढ़ लेते हैं और इसका सीधा असर बच्चों के अभिभावकों पर पड़ता है. वहीं एडीटीओ पिंकू शर्मा ने बताया कि ऑटो में बैठने वालों की संख्या कम होने की वजह से किराया बढ़ा गया है.
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