बिहार के गोपालगंज में पांच दिनों तक हनुमंत कथा का आयोजन चला. कथा कहने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री आए थे. सोमवार को उन्होंने गोपालगंज में कथा संपन्न की और दरभंगा के लिए निकल गए. बाबा बागेश्वर के दरबार में रोजाना लाखों श्रद्धालु जुटे. इस बीच बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार लगा जिसमें अपनी अर्जी लेकर भी भक्त जमा हुए. अंतिम दिन भक्तों की भीड़ इस तरह उमड़ी कि समय से पहले ही कथा संपन्न करना पड़ गया.
गोपालगंज में उमड़ा भक्तों का सैलाब
गोपालगंज में बाबा बागेश्वर के दरबार में दूर-दराज से भी भक्त पहुंचे. श्रद्धालुओं से पूरा पंडाल खचाखच भरा रहा. लोग पंडाल से बाहर भी खड़े रहकर आचार्य धीरेंद्र शास्त्री की कथा सुनते नजर आए.


बांका में भी धीरेंद्र शास्त्री को सुनने उमड़ी भीड़
इस बीच आचार्य धीरेंद्र शास्त्री बांका जिले में भी गए. जहां महायज्ञ कार्यक्रम में वो शामिल हुए. इस दौरान बाबा बागेश्वर को बांका में सुनने के लिए भी श्रद्धालुओ का हुजूम उमड़ा रहा. जिसका वीडियो भी सामने आया है.
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डेढ़ घंटे में ही कथा करना पड़ा संपन्न
गोपालगंज में कथा के अंतिम दिन भीड़ इस तरह उमड़ी थी कि करीब डेढ घंटे में ही आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कथा समाप्त कर दिया और दरभंगा के लिए रवाना हो गए. श्रोताओं की भारी भीड़ थी. पंडाल में घुसने की होड़ लगी थी. कोई अव्यवस्था नहीं पैदा हो इसलिए बाबा बागेश्वर ने कथा पहले ही संपन्न कर लिया.
गोपालगंज से विदा हुए बाबा बागेश्वर
गोपालगंज के भोरे स्थित रामनगर के मठ परिसर में 6 मार्च को शुरू हुई हनुमंत कथा का जब समापन सोमवार को हुआ तो बाबा बागेश्वर ने नम आंखों से भक्तों से विदा लिया. जय श्री राम के जयघोष के साथ कथा संपन्न हुई. बाबा बागेश्वर ने भक्तों से वादा किया कि वो फिर बिहार आएंगे.


मुरेठा बांधकर भक्तों का अभिवादन स्वीकार किया
जब बाबा बागेश्वर गोपालगंज से विदा हो रहे थे तो उन्होंने गाड़ी की छत से निकलकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया. बिहार की शान गमछा को उन्होंने लपेटकर मुरेठा बांधा और जिया हो बिहार के लाला कहते हुए गाड़ी से निकले. कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें ले जाया गया.
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