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Bank Loan: मुंगेर-नालंदा और भोजपुर में ऋण देने में कंजूसी कर रहा बैंक, इन तीन जिलों का साख-जमा बहुत कम

Bank Loan: बिहार में बैंक ऋण के मामले में स्थिति औसत से पीछे है. बिहार के अधिकांश जिलों में सीडी रेशियो अभी भी 50% से कम है. राज्य सरकार ने बैंकों को सीडी औसत बढ़ाने के लिए पंचायत स्तर पर कैंप लगाने का निर्देश दिया है.

कैलाशपति मिश्र/ Bank Loan: बिहार सरकार के लगातार कोशिश के बावजूद राज्य के पांच जिलों का साख-जमा (सीडी) अनुपात 50% से कम रहा है. ये जिले हैं मुंगेर, भोजपुर, बक्सर, जहानाबाद और नालंदा. इन जिलों का सीडी औसत बिहार के अन्य जिलों की तुलना में काफी कम है. यह दर्शाता है कि इन जिलों में बैंकों द्वारा ऋण का वितरण अपेक्षाकृत कम किया गया है, जबकि है लोगों ने ऋण की तुलना में बैंकों में जमाओं अधिक की है. हालांकि बक्सर और जहानाबाद की साख जमा अनुपात में पिछले तिमाही की तुलना में सुधार हुआ है. इन दोनों जिलों में बैंकों ने ऋण देने में थोड़ी उदारता दिखाई और यह सीडी औसत 40% से बढ़कर 45% हो गया है. जबकि मुंगेर का अभी भी 35%,नालंदा का 43.42% और भोजपुर का 44.31% है.

कम साख-जमा अनुपात के कारण

कम सीडी औसत वाले पांच जिलों में सीडी अनुपात बढ़ाने के लिए इन जिलों के लीड बैंक द्वारा एक अध्ययन करवाया गया. सूत्रों की माने तो बैंक एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) ज्यादा होने के कारण ऋण बांटने में सख्ती कर रहा है. वैसे इन जिलों के लोग भी ऋण में दूसरे जिलों की तुलना में कम दिलचस्पी लेते हैं. कम साख-जमा अनुपात का मतलब है कि इन जिलों में आर्थिक गतिविधियां और विकास धीमी हो सकती हैं क्योंकि बैंकों द्वारा कर्ज की उपलब्धता कम है.

पंचायत स्तर पर कैंप लगाने का निर्देश

राज्य सरकार ने बैंकों को सीडी औसत बढ़ाने के लिए पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर लोगों बैंकिंग के बारे में जागरूक करने और ऋण वितरण करने का निर्देश दिया गया है. उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने बैंकों को सीडी औसत बढ़ाने का सख्त निर्देश दिया है.

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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