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Basant Panchami 2025 Date: वसंत पंचमी को लेकर सजा बाजार,जानें किस दिन होगी सरस्वती की पूजा

saraswati puja इस वर्ष वसंत पंचमी तीन फरवरी को मनायी जायेगी. इसी दिन (सोमवार को) विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती की पूजा होगी. मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है. माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती अवतरित हुई थीं, इसलिए इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है.

Saraswati Puja वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना को लेकर शहर के कलाकार प्रतिमा निर्माण में जुट गये हैं. इनकी पूजा अर्चना सभी शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ अन्य जगहों पर धूमधाम से की जाती है. इसे लेकर विद्यार्थियों में काफी उत्सुकता है.

बेहतर मूर्ति निर्माण को लेकर युवा व छात्र कारीगरों के पास पहुंच रहे हैं. वहीं मनपसंद प्रतिमा बनाने के लिए वे कलाकारों को सलाह भी दे रहे हैं और प्रतिमाओं की एडवांस बुकिंग भी हो रही है. मूर्तिकारों का कहना है कि हमारे पास कई लोगों का आर्डर आ चुका है. पांच सौ रुपए से लेकर ढाई से पांच हजार रुपए तक की मूर्ति का निर्माण किया जा रहा है. सरस्वती पूजा की तैयारी व शुभ मुहूर्त पर पढ़िए लाइफ@सिटी की रिपोर्ट.

जीवंत प्रतिमा बनाने में जुटे हैं मूर्तिकार


स्थानीय मूर्तिकारों का कहना है कि कई श्रद्धालु मूर्ति के लिए अग्रिम बुकिंग करा चुके हैं. हम लोग भी जोर-शोर से तैयारी में जुट गये हैं, ताकि तय तिथि तक मूर्तियों को अंतिम रूप दे सकें. गांधी मैदान में प्रतिमा बना रहे मूर्तिकार चंदन कुमार का कहना है कि लगातार बढ़ रही महंगाई का असर जरूर पड़ा है. लोग सस्ते दामों में प्रतिमा खरीदना चाहते हैं. हमारे यहां 1500 रुपये से लेकर 5500 रुपये तक की प्रतिमा उपलब्ध है.


वहीं सालीमपुर अहरा में प्रतिमा बना रहे कलाकार मणिशंकर ने बताया कि प्रतिमा को चार चरणों में तैयार किया जाता है. पहले चरण में लकड़ी और पुआल से प्रतिमा का ढांचा तैयार किया जाता है. दूसरे चरण में मिट्टी से प्रतिमा का मॉडल एवं भाव-भंगिमा तैयार किया जाता है. तीसरे चरण में रंग-रोगन कार्य एवं चौथे चरण में साज-सज्जा को अंतिम रूप दिया जाता है.

ज्ञान की देवी को प्रसन्न करने का बेहतर अवसर


माघ महीने की पंचमी को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. वसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष को वसंत पंचमी मनायी जाती है. पं डॉ श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं विद्या और ज्ञान की देवी को प्रसन्न करने के लिए वसंत पंचमी खास अवसर होता है. ऐसा माना जाता है कि इसी दिन वेदों की देवी प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन को शिक्षा या कोई अन्य नयी कला शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है.

इसी दिन शुरू होगा शिशुओं का अक्षरारंभ


सरस्वती पूजा के दिन श्रद्धालु ज्ञान के साथ खुद को प्रबुद्ध करने एवं अज्ञानता को दूर करने के लिए मां सरस्वती की पूजा करेंगे. माता सरस्वती विद्या एवं बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं. वसंत पंचमी को मां शारदे के साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, नवग्रह, पुस्तक-लेखनी और वाद्य यंत्रों की पूजा अति फलदायी होती है. पूजा के बाद श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर-गुलाल भी लगायेंगे. इसी दिन मंत्र दीक्षा और नवजात शिशुओं का अक्षरारंभ शुभ होगा.

बाजार में चुनरी, मुकुट, माला की डिमांड


सरस्वती पूजा में अब मात्र चार दिन ही शेष बचे हैं. इसे लेकर बाजार में मां शारदे की विभिन्न आकार की मूर्तियों, पूजन सामग्री, मां की शृंगार सामग्री, रंगीन और प्रिंटेड चुनरी, मोती, माला, मुकुट से बाजार पटा हुआ है. मां शारदे कहीं हंस पर सवार हैं, तो कहीं वीणा-पुस्तक धारण की हुई हैं. कई श्रद्धालु भीड़ से बचने के लिए अभी से पूजन सामग्री खरीद रहे हैं. पूजन सामग्री में विद्या की देवी के लिए सबसे महत्वपूर्ण कलम-दवात की मांग अधिक है. वहीं मोली (कच्चे धागे), छोटी-छोटी बोतल में गंगाजल, मधु, गाय घी, अगरबत्ती, कर्पूर, जनेऊ, जौ, तिल, चावल, धान जैसी सामग्री मिल रही है.

पूजा का शुभ मुहूर्त


रेवती नक्षत्र: 2 फरवरी को देर रात 2:14 बजे
लाभ-अमृत मुहूर्त: प्रातः 6 :36- सुबह 09:19 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त: सुबह 10:41- दोपहर 12:03 बजे तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:41-12:25 बजे तक  
चर-लाभ मुहूर्त: अपराह्न 02:46-शाम 05:30 बजे तक

बाजार में पीले कपड़ों की बढ़ी डिमांड


वसंत पंचमी को लेकर कपड़ा बाजार में पीले साड़ी और सूट की खरीदारी शुरू हो गयी है. क्योंकि सरस्वती पूजा के मौके पर महिलाएं पीली साड़ी और सूट पहनना अधिक पसंद करती हैं. इसके कारण सरस्वती पूजा में इसकी पीले रंग की साड़ियां और सलवार- सूट को पहनना को महिलाओं व युवतियों प्राथमिकता देती है. यहीं कारण है कि कपड़ा मार्केट में एक से एक डिजाइन में पीले रंग की साड़ियों और सूट का काफी स्टॉक दुकानों में उपलब्ध है.

इसलिए मां सरस्वती का प्रिय रंग पीला है


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती का प्रिय रंग पीला है और पीला रंग जीवन में सकारात्मक, नयी किरणों और नयी ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. यही वजह है कि बसंत पंचमी पर पीले रंग के वस्त्र को पहनना शुभ माना जाता है. इसके अलावा मां सरस्वती की पूजा के दौरान बूंदी के लड्डू या बेसन के लड्डू से भोग लगाने पर मां प्रसन्न होती हैं. मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए पीले फूल भी चढ़ाये जाते हैं और उनके लिए पीले रंग का आसन भी बिछाया जाता है.

कलाकारों ने क्या कहा


पिछले 10 साल से इस पेशे से जुड़ा हूं. मां सरस्वती की प्रतिमा डेढ़ महीने से पहले से बनाना शुरु कर दिया था. मेरे पास एक फुट से लेकर आठ फुट तक की मूर्तियां हैं. मूर्ति निर्माण में हमारे साथ चार लोग काम करते हैं. मूर्तियों की कीमत हजार रुपये से लेकर 4000 रुपये तक है. – चंदन कुमार, मूर्तिकार गांधी मैदान

मूर्ति बनाने का काम पीढ़ियों से करते आ रहे हैं. हम पांचवीं पीढ़ी हैं. दो महीने पहले से मां शारदे की प्रतिमा बना रहा हूं. हर चीज की कीमत बढ़ गयी है इसका असर प्रतिमाओं पर भी पड़ा है. अभी एक ट्रैक्टर मिट्टी की कीमत 10-11 हजार रुपये है.- मणिशंकर पंडित, सालीमपुर अहरा

पिछले 32 साल से मैं प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां तैयार कर रहा हूं. तीन महीने पहले से ही मूर्तियों का निर्माण शुरू हो जाता है. फ्रेम में प्लास्टर ऑफ पेरिस डालकर दो घंटे रखना पड़ता है. फिर इसमें कलर किया जाता है. अब तक 25 ऑर्डर मिले हैं.– अनंत कुमार,

RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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