संवाददाता, पटना : स्वास्थ्य विभाग में संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजनाओं का फायदा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मरीजों को भी मिलेगा. इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व स्वास्थ्य विभाग अब एम्स के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर काम करेगा. एम्स के हेल्थ डेमोग्राफिक सर्विलांस सिस्टम स्थापित करने को लेकर हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधिमंडल व एम्स के बीच बैठक हुई थी. इसमें विभाग की तरफ से एम्स के इस कार्य को हर तरह के सहयोग का आश्वासन दिया गया है. प्रतिनिधि मंडल की ओर से एम्स में संचालित टीकाकरण केंद्र को भी देखा गया था.
सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिए चलायी जा रही है यह योजना
एम्स प्रशासन के अनुसार संस्थागत प्रसव के माध्यम से सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत देश स्तर पर जननी सुरक्षा योजना चलायी जा रही है. प्रसव के दौरान होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए इस योजना के माध्यम से महिलाओं को प्रोत्साहन राशि देकर सरकारी अस्पतालों पर संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी दोनों प्रकार की गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर अलग-अलग प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है. इसी को देखते हुए अब एम्स को भी इस योजना के तहत जोड़ने की तैयारी की जा रही है. वहीं सिविल सर्जन डॉ
अविनाश सिंह ने बताया कि जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत प्रदान की जानी वाली सुविधाओं के कारण प्रसव के दौरान होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु में कमी आयी है. प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं को रोकने के लिए संस्थागत प्रसव बहुत जरूरी है. इस योजना के कारण ग्रामीण परिवेश की गर्भवती महिलाएं गृह प्रसव की जगह संस्थागत प्रसव करा रही हैं व आशाओं के द्वारा उन्हें इसके फायदों के बारे में भी उचित जानकारी प्रदान की जा रही है. इसी को देखते हुए अधिक से अधिक अस्पतालों को इस योजना के तहत जोड़ा जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है