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Bihar: इस काम के लिए ससुराल से पैसा मांगना दहेज नहीं, हाईकोर्ट का अहम फैसला

Bihar: दहेज की परिभाषा को लेकर पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है. हाईकोर्ट ने एक दहेज उत्पीड़न मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि बच्चे के लालन पालन के लिए ससुराल से मांगी गयी रकम दहेज की श्रेणी में नहीं आयेगी.

Bihar: पटना. शादी से पहले या शादी के बाद अगर कोई व्यक्ति पत्नी या ससुराल वालों से पैसे की मांग करता है तो वह दहेज की श्रेणी में आता है. दहेज की मांग करने वालों के लिए कानून में सजा का प्रावधान है. लेकिन पटना हाईकोर्ट ने दहेज से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया. हाइकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि यदि पति अपने नवजात बच्चे के पालन-पोषण के लिए पत्नी के पैतृक घर से धन की मांग करता है, तो ऐसी मांग दहेज की परिभाषा में नहीं आती है. न्यायाधीश बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने नरेश पंडित द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को स्वीकृति देते हुए यह फैसला सुनाया. याचिकाकर्ता ने आइपीसी की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा 4 के तहत दी गयी अपनी सजा को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी.

ससुराल से बच्चे के लालन-पालन के लिए पैसे मांगने का आरोप

कोर्ट को बताया गया था कि याचिकाकर्ता नरेश का विवाह सृजन देवी के साथ वर्ष 1994 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था. इस दौरान उन्हें तीन बच्चे हुए- दो लड़के और एक लड़की. पत्नी ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी के जन्म के तीन साल बाद याचिकाकर्ता ने लड़की की देखभाल और भरण-पोषण के लिए उसके पिता से 10,000 रुपये की मांग की. यह भी आरोप लगाया गया कि मांग पूरी न होने पर पत्नी को प्रताड़ित किया गया. मामले का अवलोकन कर न्यायालय ने पाया कि 10 हजार रुपये की मांग शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता के बीच विवाह के विचार के रूप में नहीं की गयी थी, इसलिए, आइपीसी की धारा 498ए के तहत यह ‘दहेज’ की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है.

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इस मांग को दहेज नहीं कहा जा सकता

हाईकोर्ट में पति नरेश पंडित के वकील ने दलील दी कि पति और परिवार के दूसरे आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पत्नी की ओर से लगाए गए आरोप सामान्य और सर्वव्यापी प्रकृति के हैं और इसलिए उनकी सजा का आदेश रद्द किया जाना चाहिए. हाइकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निचली अदालत द्वारा पारित दोषसिद्धि और सजा के फैसले और आदेश को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा कि यदि पति अपने नवजात बच्चे के पालन-पोषण और भरण-पोषण के लिए पत्नी के पैतृक घर से पैसे की मांग करता है, तो ऐसी मांग दहेज निषेध अधिनियम-1961 के अनुसार दहेज की परिभाषा के दायरे में नहीं आती है.

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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