Bihar Chunav: बिहार की सियासत में नए सिरे से समीकरण बनते दिख रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ.अशोक राम ने पार्टी से नाता तोड़ते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का दामन थाम लिया है. वह अकेले नहीं आये—पुत्र अतिरेक कुमार और सैकड़ों समर्थकों के साथ उन्होंने जदयू की सदस्यता ली. इसे केवल एक पार्टी परिवर्तन के तौर पर नहीं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में उठते अंदरूनी तूफान के रूप में देखा जा रहा है.
नीतीश की नीतियों को बताया प्रेरणास्रोत-डॉ. अशोक राम
रविवार को जदयू प्रदेश कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में डॉ. अशोक राम की जदयू में औपचारिक एंट्री हुई. पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा और प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने उन्हें जदयू की प्राथमिक सदस्यता दिलाई. इस मौके पर मंत्री विजय चौधरी, श्रवण कुमार, रत्नेश सदा सहित कई नेता मौजूद रहे.
डॉ. राम ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीति और नीयत ने उन्हें प्रभावित किया. उन्होंने विशेष रूप से दलित और महादलित समाज के प्रति नीतीश कुमार की प्रतिबद्धता को सराहा और इसे ‘अनुकरणीय’ बताया.
कांग्रेस ही नहीं, बल्कि अन्य दलों के कई नेता भी जदयू से संपर्क में -संजय कुमार झा
कार्यक्रम में संजय कुमार झा ने कांग्रेस पर तीखा कटाक्ष करते हुए कहा, “प्रवचन देना आसान है, लेकिन उसे आचरण में लाना सबके बस की बात नहीं.” उन्होंने संकेत दिया कि डॉ. राम जैसे अनुभवी नेता की जदयू में एंट्री पार्टी के लिए बेहद फायदेमंद होगी. साथ ही दावा किया कि सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि अन्य दलों के कई नेता भी जदयू से संपर्क में हैं.
प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि डॉ. राम जैसे जमीनी नेता के पार्टी में आने से संगठन को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह उन लोगों को भी संकेत है जो सामाजिक न्याय और समावेशी विकास में आस्था रखते हैं.
मंत्री विजय चौधरी ने डॉ. राम की सामाजिक पकड़ पर टिप्पणी करते हुए कहा, “अशोक राम केवल एक जाति या वर्ग के नेता नहीं हैं. उनके साथ कई समाजों के लोगों की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि उनका प्रभाव व्यापक है.”
बिहार कांग्रेस नेतृत्व को लेकर उठ रहे है सवाल
जदयू में शामिल होने के बाद डॉ. अशोक राम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से एक अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ में मुलाकात की. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और जदयू के अन्य वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे. इसे एक रणनीतिक बैठक के तौर पर भी देखा जा रहा है, जिसमें आगामी चुनावों को लेकर भूमिका तय हुई हो सकती है.
इस मौके पर कई अन्य नेताओं ने भी कांग्रेस को अलविदा कहकर जदयू की सदस्यता ली. इन नेताओं में राम कुमार राम, राम भजन यादव, रामनारायण यादव, पलटन मुखिया, मदन कुमार शर्मा, मोहन यादव, महेंद्र यादव और मोहम्मद इस्लाम मुखिया शामिल हैं.
जदयू में इस तरह के नए चेहरों की एंट्री को राजनीतिक पंडित महागठबंधन में संभावित असंतोष और आगामी चुनावों की तैयारी के रूप में देख रहे हैं. खासकर जब कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहे हों, तब एक वरिष्ठ दलित नेता का पार्टी छोड़ना एक बड़ा संकेत है.
डॉ. अशोक राम का जदयू में जाना केवल व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति के बदलते मिजाज का संकेत है.
दलित राजनीति की नई धुरी के रूप में नीतीश कुमार की छवि को मज़बूती देने वाला यह घटनाक्रम आने वाले दिनों में राजनीतिक समीकरणों को और भी दिलचस्प बना सकता है.
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