24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bihar Economic Survey: बिहार में शिक्षा पर व्यय 10 गुना बढ़ा, अस्पताल में अब भी आधे पद खाली

Bihar Economic Survey: शिक्षा व्यय में जबरदस्त इजाफा हुआ है. सामाजिक विकास के मद्देनजर राज्य सरकार शिक्षा पर व्यय बढ़ाती जा रही है. उदाहरण के लिए 2018-2019 में शिक्षा पर कुल व्यय 23,618 करोड़ रुपये था. वित्तीय वर्ष 2023-2024 में यह व्यय बढ़ कर 43,224.34 करोड़ रुपये हो गया है. यह करीब दो गुना है. शिक्षा पर व्यय की कुल वृद्धि दर करीब 13.9 % सालाना रही है.

Bihar Economic Survey: पटना. बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024-2025 में यह तथ्य उजागर हुआ है कि वित्तीय वर्ष 2005-2006 से वर्ष 2023-2024 के बीच शिक्षा पर व्यय 10 गुना बढ़ा है. इस तरह शिक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में रही है. यही वजह है कि राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हो सका है. शैक्षणिक सत्र 2019-2020 से 2023-2024 के बीच राज्य के सरकारी माध्यमिक स्कूलों में छीजन दर (डॉप आउट रेट ) में 62.25 % की गिरावट आयी है. इस अवधि में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की छीजन दरों में सबसे अधिक कमी आयी है. शिक्षा में गुणवत्ता के लिहाज से यह अहम उपलब्धि है. खासतौर पर अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों की छीजन दर में कमी एक सुखद संकेत है. राज्य के प्राथमिक स्कूलों में वर्ष 2019-2020 में अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों की छीजन दर 21.65 % थी.

विशेष तथ्य

  • शैक्षणिक सत्र 2023-2024 में बिहार के प्राथमिक शिक्षकों की कुल संख्या 4, 07, 331 हो गयी है.
  • वर्ष 2023-2024 के दौरान प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कुल नामांकन 168.31 लाख थे.
  • उस समय 86.67 लाख छात्र थे और लड़कियों की संख्या 81.64 लाख थी.

छात्रों के डॉप आउट रेट में भारी गिरावट

ताजा रिपोर्ट के अनुसार सत्र 2023-2024 में यह छीजन दर केवल 10.68 % रह गयी. उच्च प्राथमिक में इसी समयावधि में इसी वर्ग के विद्यार्थियों की छीजन दर 42.10 % से घटकर 28.07 % और माध्यमिक में इसी वर्ग की छीजन दर 65.01 % से घटकर 1.43 % रह गयी है. इसी तरह प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर में अनुसूचित जन जाति वर्ग के विद्यार्थियों की छीजन दर में काफी कमी आयी है. उदाहरण के लिए शैक्षणिक सत्र 2019-2020 में माध्यमिक स्कूलों में अनुसूचित जन जाति वर्ग के बच्चों की छीजन दर 30.12 % थी, जो अब घटकर केवल 2.37 % रह गयी है. इस तरह अनुसूचित जाति और जनजाति की छीजन दर में उत्तरोत्तर कमी आ रही है.

आधे डॉक्टर और नर्स ही चला रहे हैं सरकारी अस्पतालों को

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर मरीजों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. इधर सरकारी अस्पतालों में आधी संख्या में उपलब्ध डॉक्टर और नर्स ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं. राज्य में कुल 12721 सरकारी अस्पताल हैं. इन अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए 7144 स्थायी डॉक्टर और 9650 ग्रेड ए नर्स की सेवा मिल रही है. अस्पतालों में स्थायी कर्मचारियों में 15202 स्थायी एएनएम काम कर रही हैं. सरकारी अस्पतालों में संविदा पर काम करनेवाले डॉक्टर और नर्सों की संख्या भी स्वीकृत पदों के करीब आधी ही हैं.

स्थायी डॉक्टरों के कुल 12895 पद स्वीकृत

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए स्थायी डॉक्टरों के कुल 12895 पद स्वीकृत हैं. इनकी जगह पर सिर्फ 7144 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं. इसी प्रकार से ग्रेड ए नर्सों के स्थायी रूप से कुल 17460 पद स्वीकृत हैं जिसमें काम करनेवाली नर्सों की संख्या सिर्फ 9650 है. एएनएम के स्थायी पदों की संख्या 29479 है जिसमें 15205 नर्सें ही काम कर रही हैं. इस प्रकार राज्य में सभी स्तर के कर्मियों की कुल संख्या 80759 है जिसमें सिर्फ 43931 डॉक्टर और नर्स ही काम कर रही हैं. राज्य में ग्रामीण स्तर पर बड़ी संख्या में आशा को संविदा पर नियुक्त किया गया है. इनकी संख्या करीब 90 हजार के ऊपर है.

Also Read: Bihar Economic Survey: बिहार में कार की संख्या बढ़ी, तो घट रही है बसों व ट्रकों की संख्या

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel