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बिहार में अमीरी-गरीबी की बड़ी खाई, पटना चमका तो राज्य का यह जिला अब भी अंधेरे में…

Bihar Economic Survey: बिहार में आर्थिक विकास तो हुआ, लेकिन सभी जिलों को इसका समान लाभ नहीं मिला. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, पटना राज्य का सबसे अमीर जिला बनकर उभरा है, जबकि शिवहर सबसे गरीब बना हुआ है.

Bihar Economic Survey: बिहार में हाल के दशकों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है. जिससे राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. हालांकि, आर्थिक विकास का यह लाभ पूरे राज्य में समान रूप से नहीं पहुंचा है. राज्य के कुछ जिले तेजी से विकसित हुए हैं, जबकि कई जिले अब भी पिछड़े हुए हैं.

पटना सबसे अमीर, शिवहर सबसे गरीब

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, बिहार का सबसे समृद्ध जिला पटना है. जहां प्रति व्यक्ति आय ₹1,21,396 दर्ज की गई है. इसके बाद बेगूसराय (₹49,064) और मुंगेर (₹46,795) का स्थान आता है. दूसरी ओर, राज्य का सबसे गरीब जिला शिवहर (₹19,561) है, जबकि अररिया (₹22,204) और सीतामढ़ी (₹21,931) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.

पटना की प्रति व्यक्ति आय बिहार के सबसे गरीब जिले शिवहर से छह गुना अधिक है. यह दर्शाता है कि राज्य के आर्थिक संसाधन कुछ जिलों में केंद्रित हैं, जबकि कई जिले अभी भी आर्थिक पिछड़ेपन से जूझ रहे हैं.

बेगूसराय और मुंगेर ने बनाई मजबूत स्थिति

बेगूसराय राज्य का दूसरा सबसे समृद्ध जिला बनकर उभरा है, जहां प्रति व्यक्ति आय ₹49,064 है। इसके बाद मुंगेर (₹46,795) तीसरे स्थान पर है. इन जिलों की अर्थव्यवस्था औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों पर आधारित है, जिससे यहां के लोगों की आमदनी में निरंतर वृद्धि हो रही है.

ईंधन खपत में भी पटना अव्वल

राज्य के जिलों की संपन्नता का आकलन पेट्रोल, डीजल और एलपीजी (रसोई गैस) की खपत के आधार पर भी किया गया. पेट्रोल की खपत में पटना पहले स्थान पर है, जबकि मुजफ्फरपुर और पूर्णिया क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं.
डीजल खपत में पटना के बाद शेखपुरा और औरंगाबाद का स्थान आता है. सबसे कम पेट्रोल खपत वाले जिले लखीसराय, बांका और जहानाबाद हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर माने जाते हैं.

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अर्थव्यवस्था में असंतुलन बना चिंता का विषय

बिहार में आर्थिक असमानता की यह खाई सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है. जहां पटना, बेगूसराय और मुंगेर जैसे जिले तेजी से विकास कर रहे हैं, वहीं शिवहर, अररिया और सीतामढ़ी जैसे जिले अब भी आर्थिक संघर्ष कर रहे हैं. इस असमानता को कम करने के लिए सरकार को रोजगार सृजन, औद्योगिक विकास और बुनियादी ढांचे में निवेश पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.

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Abhinandan Pandey
Abhinandan Pandey
भोपाल से शुरू हुई पत्रकारिता की यात्रा ने बंसल न्यूज (MP/CG) और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अनुभव लेते हुए अब प्रभात खबर डिजिटल तक का मुकाम तय किया है. वर्तमान में पटना में कार्यरत हूं और बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को करीब से समझने का प्रयास कर रहा हूं. गौतम बुद्ध, चाणक्य और आर्यभट की धरती से होने का गर्व है. देश-विदेश की घटनाओं, बिहार की राजनीति, और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि रखता हूं. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स के साथ प्रयोग करना पसंद है.

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