Bihar Economic Survey: पटना. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 2022-23 में बिहार में श्रमशक्ति सहभागिता दर 50.9 प्रतिशत थी, जो 2023 -24 में बढ़कर 55.0 प्रतिशत हो गयी. इसी प्रकार 2022-23 में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 48.7 प्रतिशत था, जो 2023-24 में बढ़कर 53.2 प्रतिशत पहुंच गया है. बिहार में पुरुष एवं महिला श्रमिक सहभागिता अनुपात संपूर्ण भारत के स्तर के पुरुष और महिला श्रमिक सहभागिता अनुपातों से नीचे है. बिहार में ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में महिला श्रमिक सहभागिता अनुपात पुरुष श्रमिक से नीचे था.
असम के बाद अब बिहार का नंबर
ताजा रिपोर्ट के अनुसार अब बिहार में श्रमशक्ति सहभागिता दर पुरुषों के लिए ग्रामीण बिहार में 79.2 प्रतिशत और शहरी बिहार में 71.9 प्रतिशत थी, लेकिन महिला भागिदारी दर पुरुष श्रमशक्ति सहभागिता दर की अपेक्षा नीचे थी. पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ग्रामीण व शहरी बिहार की श्रम शक्ति सहभागिता दरें संपूर्ण भारत के औसत से नीचे थी. 2022-23 व 2023-24 के बीच महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर में दोनों ही क्षेत्रों में सुधार हुआ है. वहीं, अन्य राज्यों की बात करें, तो आंध्र प्रदेश और असम के बाद बिहार में महिला-पुरुषों दोनों में श्रमशक्ति भागीदारी बढ़ी है.
महिला रोजगार की स्थिति पुरुष की तुलना में बेहतर
देश केअन्य राज्यों की तुलना में बिहार में पुरुष श्रमिकों की रोजगार की स्थिति से पता चलता है कि बड़ी संख्या में श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र लगे थे,जहां काम की प्रकृति जोखिम वाली थी.महिला श्रमिकों की रोजगार की स्थिति पुरुष श्रमिकों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से अलग थी. बिहार में स्वनियोजित महिला श्रमिकों का हिस्सा 83.7 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था. इन 83.7 प्रतिशत स्वनियोजित महिला श्रमिकों में से 39.8 प्रतिशत घरेलू उद्यमों में सहायक के बतौर कार्यरत थी.बिहार में स्वनियोजित महिला श्रमिकों का अनुपात संपूर्ण भारत के औसत से 17.1 प्रतिशत अंक अधिक था. बिहार में 10.8 प्रतिशत महिला श्रमिक अनियमित श्रमिक के बतौर कार्यरत थी, जो संपू्र्ण भारत के औसत से 4.1 प्रतिशत अंक अधिक है.
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