विवेकानंद/ Bihar Election 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक कार्यशैली में कई विशेषताएं हैं. उनमें से एक प्रमुख विशेषता है किसी-न-किसी बहाने जनता के बीच उनकी निरंतर उपस्थिति, चाहे वह विकास परियोजनाओं का उद्घाटन हो, शिलान्यास हो या फिर किसी अन्य जनसभा को संबोधित करना हो. महीने भर पहले से उनकी ऐसी यात्राओं का कैलेंडर बन जाता है. कई बार तो उन्होंने एक ही दिन में अलग-अलग राज्यों में जनसभा को संबोधित किया है, यहां तक कि विदेश यात्रा से सुबह लौटकर भी उसी दिन वे देश के भीतर जनसभा में पहुंच गये हैं. जब बात चुनावी राज्यों की हो, तो उनकी सक्रियता और भी बढ़ जाती है.
इस साल चार बार आ चुके हैं बिहार
बिहार में इसी वर्ष अक्तूबर-नवंबर के बीच विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव की घोषणा में अभी देरी है, लेकिन वर्ष 2025 में पीएम नरेंद्र मोदी अब तक चार बार बिहार आ चुके हैं और इस दौरान पटना में एक रोड शो भी किया. पीएम मोदी ने हर दौरे में बिहार के लिए हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की, जो सड़क, रेल, बिजली और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं पर केंद्रित थीं. इन सभाओं के जरिये पीएम का इरादा निश्चित तौर पर जनता को यह संदेश देने का रहा होगा कि उनकी सरकार विकास के कार्यों में जुटी है. चूंकि, बिहार में भी एनडीए की ही सरकार है, तो डबल इंजन का लाभ दर्शाने की भी उनकी कोशिश होती है. फरवरी से जून तक अगर मार्च महीने को छोड़ दिया जाये, तो पीएम मोदी बाकी के हर महीने में एक बार बिहार जरूर पहुंचे हैं. इन जनसभाओं से लगभग 60 से 70 विधानसभा सीटें कवर होती हैं. वैसे भी, किसी क्षेत्र में प्रधानमंत्री का पहुंचना, लंबे समय के लिए वहां के लोगों की मेमोरी का हिस्सा बन जाता है. इसका चुनावों में कितना लाभ मिलेगा, वह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन पीएम मोदी द्वारा जनसंपर्क के लिए अब तक सभा स्थल का चयन सोच-समझकर किया गया है.
भागलपुर से किसान निधि की 19वीं किस्त
जैसे सूर्योदय पूरब से होता है, उसी तरह पीएम मोदी ने इस वर्ष बिहार में अपनी जनसभा की शुरुआत बिहार के पूर्वी जिले भागलपुर से की. 24 फरवरी को आयोजित इस सभा में उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 19वीं किस्त के तौर पर 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जारी की. चूंकि, भागलपुर व इससे सटे कई जिले, जैसे- बांका, मुंगेर, खगड़िया, कटिहार, पूर्णिया आदि खेती-किसानी के लिहाज से समृद्ध जिले हैं. ऊपर से कुछ सप्ताह पहले बजट में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा हुई थी और मिथिला क्षेत्र के अलावा पूर्णिया में भी बड़े पैमाने पर मखाना का उत्पादन होता है. ऐसे में उन्होंने इस जनसभा के जरिये न सिर्फ भागलपुर जिले की सात विधानसभा- भागलपुर, नाथनगर, सुल्तानगंज, कहलगांव, पीरपैंती, गोपालपुर, बिहपुर को सीधे कवर किया, बल्कि साथ में परोक्ष रूप से आसपास के जिलों की विधानसभा सीटों को भी कवर करने की कोशिश की. भागलपुर पूर्वी बिहार का एजुकेशन हब भी है, जहां पड़ोसी जिलों के छात्र बड़ी संख्या में रहते हैं. ऐसे में इस एक सभा से कम-से-कम 20-25 विधानसभा क्षेत्रों पर इसके प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता.
पंचायती राज दिवस पर मिथिला पहुंचे पीएम
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश में गम-गुस्से का माहौल था. इस दुखद घटना के दौरान पीएम मोदी विदेश दौरे पर थे. दौरा बीच में रद्द कर पीएम स्वदेश लौटे, लेकिन पंचायती राज दिवस के अवसर पर 24 अप्रैल को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में वह मधुबनी पहुंचे. यहां उन्होंने झंझारपुर प्रखंड के लोहना में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया. यहीं से पीएम मोदी ने पहलगाम की घटना पर अपनी पहली प्रतिक्रिया भी दी. इस दौरान 13,480 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. गोपालगंज जिले के हथुआ में बनने वाले एक एलपीजी बॉटलिंग संयंत्र व रेल अनलोडिंग सुविधा की भी आधारशिला रखी. इसके अलावा सहरसा-मुंबई अमृत भारत एक्सप्रेस व जयनगर-पटना नमो भारत रैपिड रेल को हरी झंडी दिखायी. उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभुकों को चाबी भी सौंपी. इस सभा के जरिये मधुबनी जिले की 10 विधानसभा सीटों- हरलाखी, बेनीपट्टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी, मधुबनी, राजनगर, झंझारपुर, फुलपरास, लौकहा को तो कवर किया ही, साथ में मिथिलांचल क्षेत्र (दरभंगा, समस्तीपुर, सहरसा) की कम-से-कम 20 विधानसभा सीटों को कवर करने की कोशिश की.
शाहाबाद पर पीएम मोदी की विशेष नजर
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव परिणाम की बात हो या 2024 के लोकसभा चुनाव की, एनडीए के लिए शाहाबाद (भोजपुर, रोहतास, कैमूर व बक्सर) एक टफ बैटल फील्ड साबित हुआ. लोकसभा चुनाव में तो एनडीए काराकाट, सासाराम, आरा, बक्सर जैसी सारी सीटें हार गयीं. साथ में सटे मगध की दो सीटों औरंगाबाद व जहानाबाद में भी एनडीए जीत हासिल नहीं कर पायी. दरअसल, एनडीए समर्थकों की आपसी फूट और महागठबंधन में वामदलों की सहभागिता ने इस पूरे इलाके में एनडीए का चुनावी गणित बिगाड़ दिया. यही वजह है कि शाहाबाद पर पीएम मोदी की विशेष नजर है. बिहार में अपने तीसरे दौरे पर पीएम मोदी दो दिन (29 व 30 मई) के लिए बिहार पहुंचे.
बिहटा एयरपोर्ट का शिलान्यास
29 मई को पीएम ने पटना के नये एयरपोर्ट टर्मिनल का उद्घाटन किया और यहीं से रिमोट द्वारा बिहटा एयरपोर्ट का शिलान्यास किया. इसके बाद एक घंटे से ज्यादा समय तक रोड शो के जरिये वह भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे और वहां पार्टी के नेताओं/कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. 30 मई को पीएम रोहतास जिला व काराकाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बिक्रमगंज में जनसभा को संबोधित किया. इस सभा में उन्होंने एनडीए की डबल इंजन सरकार की उपलब्धियां तो गिनायी ही, साथ लालू यादव परिवार को भी निशाने पर रखा. रोहतास जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं- सासाराम, चेनारी, नोखा, डिहरी, काराकाट, दिनारा, करगहर. इसके अलावा पूरे शाहाबाद के विधानसभा क्षेत्रों के एनडीए के वर्कर के बीच पनपे द्वंद्व को दूर करने की उनकी मंशा थी. इस सभा के जरिये भी पीएम के निशाने पर 15 से 20 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करने की रही होगी.
बाबा साहेब आंबेडकर को दिल में रखने की बात
20 जून को इस वर्ष चौथी बार प्रधानमंत्री मोदी बिहार पहुंचे. यहां सीवान में एक जनसभा को संबोधित किया और 5,736 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया. इस जनसभा से उन्होंने बिहार के 22 शहरों में सीवरेज और जलापूर्ति से जुड़ी योजनाओं का शुभारंभ एवं शिलान्यास किया. उन्होंने पाटलिपुत्र से गोरखपुर के लिए 8 कोच की नयी वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को वर्चुअल हरी झंडी भी दिखायी. इस जनसभा में पीएम मोदी ने बाबा साहेब आंबेडकर को अपने दिल में रखने की बात की. वहीं डॉ राजेंद्र प्रसाद को भी याद किया. विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो सीवान जिले में आठ विधानसभा सीटें हैं- सीवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा, बड़हरिया, गोरियाकोठी और महाराजगंज. इस सभा के जरिये सीवान के अलावा गोपालगंज और सारण की कुछ सीटों पर भी उनकी नजर जरूर रही होगी.
राहुल गांधी भी पांच बार आ चुके हैं बिहार
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी वर्ष 2025 में लगातार बिहार के दौरे कर रहे हैं. भले राहुल गांधी ने बड़ी जनसभा को संबोधित न किया हो, लेकिन बिहार आने के मामले में राहुल गांधी पीएम मोदी से एक कदम आगे हैं. पीएम मोदी जहां चार बार बिहार के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचे हैं, वहीं राहुल गांधी पटना, बेगूसराय, दरभंगा, राजगीर जैसी जगहों पर कुल मिलकार पांच बार बिहार आ चुके हैं. राहुल ने जनवरी महीने से ही बिहार आना शुरू कर दिया था. 18 जनवरी को वह पहली बार पटना पहुंचे और बापू सभागार में ‘संविधान सुरक्षा सम्मेलन’ को संबोधित किया. यह सम्मेलन कांग्रेस का एक देशव्यापी कार्यक्रम है, जिसमें राहुल गांधी जाति जनगणना के मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं. दूसरी बार वह 5 फरवरी को एक सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने पटना पहुंचे. मौका था स्वतंत्रता सेनानी व बिहार सरकार के पूर्व मंत्री जगलाल चौधरी की जयंती समारोह का.
दलित वोटों पर कांग्रेस की खास नजर
बिहार में कांग्रेस का फोकस दलित वोटों को अपने पाले में करने की ओर साफ नजर आ रहा है. क्योंकि, राहुल गांधी के बिहार के पहले दलित मंत्री जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में शामिल होने के कुछ ही दिनों बाद मार्च महीने में कांग्रेस ने दलित वर्ग से आने वाले औरंगाबाद जिले के कुटुंबा से विधायक राजेश कुमार को अपना प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. इसके बाद तीसरी बार 7 अप्रैल को राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार द्वारा शुरू की गयी ‘पलायन रोको, नौकरी दो यात्रा’ में बेगूसराय में हिस्सा लिया. उसी दिन उन्होंने पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में भी एक सभा को संबोधित किया.
छात्रों से मिलने पैदल मार्च कर पहुंचे राहुल
15 मई को राहुल गांधी फिर से बिहार आये ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम के तहत दरभंगा के आंबेडकर छात्रावास में उनको छात्रों से संवाद करना था. इस दौरान प्रशासन द्वारा तकनीकी कारणों से उनकी सभा की अनुमति रद्द कर दी गयी, तो राहुल गांधी लगभग तीन किलोमीटर पैदल चलकर छात्रावास पहुंच गये और छात्रों से मुलाकात की. वहीं, उसी दिन दरभंगा से पटना लौटकर राहुल गांधी ने ‘फुले’ फिल्म भी देखी.
माउंटेन मैन दशरथ मांझी के घर भी पहुंच गये
6 जून को राहुल गांधी पांचवीं बार बिहार आये. वह सीधे गया एयरपोर्ट पर उतरे और वहीं से राजगीर के संविधान सुरक्षा सम्मेलन कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे. इस यात्रा के क्रम में राहुल गांधी कुछ देर के लिए गहलौर में माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी के घर भी पहुंचे. वहां उन्होंने उनके परिजनों से मुलाकात की. बिहार की राजनीति में जाति के महत्व को समझते हुए कांग्रेस आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत के पार ले जाने, जातियों की गिनती करवाने जैसे मुद्दे पर राहुल गांधी काफी मुखर रहे हैं.
सक्रियता में अब भी अव्वल हैं सीएम नीतीश कुमार
विपक्ष की ओर उम्र और मन:स्थिति पर उठाये जा रहे सवालों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी सक्रिय नजर आते हैं. इस वर्ष जनवरी महीने से ही उन्होंने पूरे बिहार में ‘प्रगति यात्रा’ की. इस दौरान वह हर जिले में एक निर्धारित जगह पर पहुंचे. इस यात्रा के जरिये उन्होंने राज्य में चल रही विकास परियोजनाओं का न सिर्फ निरीक्षण किया, बल्कि जनता के बीच सरकार की उपलब्धियों को प्रचारित भी किया. इस दौरान हर जिले में कुछ नयी विकास परियोजनाओं की घोषणा भी की. नीतीश कुमार पाइपलाइन में चल रही परियोजनाओं का औचक निरीक्षण करने भी पहुंच जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं में भी नीतीश कुमार शामिल होते रहे हैं. पिछले दिनों नीतीश कुमार ने घोषणा की कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत, वृद्ध, विधवा व दिव्यांग को मिलने वाले 400 रुपये प्रति महीने की पेंशन की जगह जुलाई महीने से 1100 रुपये प्रति माह मिलेंगे. चुनावी लिहाज से यह निर्णय बहुत प्रभावी हो सकता है.
राज्य भर के कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे तेजस्वी
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व राजद नेता तेजस्वी यादव सरकार पर हमलावर हैं और हर जिले में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से संवाद कर चुके हैं. तेजस्वी यादव का फोकस है कि वो नीतीश कुमार के साथ अपने 17 महीने के कार्यकाल को जनता के बीच अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करें. इसके अलावा तेजस्वी यादव ने चुनावी घोषणा की है कि उनकी सरकार बनने पर माई-बहिन योजना के तहत वह गरीब परिवार की महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये की आर्थिक सहायता देंगे. वहीं सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 1500 कर देंगे. इसके साथ बिहार की अति पिछड़ा वोट को अपने पाले में करने के लिए राजद ने 78 वर्षीय मंगनी लाल मंडल को राजद का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. इसके अलावा तेजस्वी यादव का फोकस डिजिटल माध्यमों से जनता से जुड़ने का है. इसी संदर्भ में 16 जून को तेजस्वी ने ‘तेजस्वी डिजिटल फोर्स’ नामक एक पोर्टल लॉन्च किया है.