अनुज शर्मा/ Bihar Electricity: बिहार में गर्मी और मानसून के दिनों मे बिजली की खपत बढते जा रहा है. इसको लेकर ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र लिखकर 21000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की मांग की है. इस अपूर्ति को पूरा करने के लिए बिहार ने नेपाल -भूटान की परियोजना से हिस्सेदीरी सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिखा . जिससे बिहार को अतिरिक्त बिजली, बिजली बाजार से महंगी दर पर खरीदनी न पडे़.
नेपाल-भूटान की परियोजनाओं से आपूर्ति की मांग
राज्य में लगातार बढ़ रही बिजली की खपत को देखते हुए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से 2100 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की मांग की है. ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को पत्र भेजकर कहा है कि राज्य को देश और विदेश की विभिन्न विधुत परियोजनाओं से आवश्यकतानुसार बिजली दी जाए. बिहार सरकार ने विशेष तौर पर नेपाल और भूटान की आगामी पनबिजली परियोजनाओं से राज्य को प्राथमिकता देने की मांग की है. मंत्री ने कहा है कि चूंकि बिहार इन देशों का सीमावर्ती राज्य है, इसलिए भविष्य में जब इन परियोजनाओं से बिजली उत्पादन शुरू हो, तो उसमें बिहार की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए.
भूटान के पुनातसांगचू से 206 मेगावाट की मांग
बिहार ने भूटान के पुनातसांगचू जलविधुत परियोजना से 206 मेगावाट बिजली की मांग की है, जो कुल उत्पादन का 40.46 प्रतिशत है. इसके अलावा केंद्र के पास मौजूद ऐसी परियोजनाएं, जो किसी राज्य को आवंटित नहीं हैं (केंद्रीय कोटा), उनसे जुलाई से सितंबर की अवधि के लिए 500 मेगावाट बिजली देने का आग्रह किया गया है. बिहार ने अरुणाचल प्रदेश की जलविधुत परियोजनाओं कलाई से दो, हीओ, और टाटो एक, तथा नेपाल की अरुण पनबिजली परियोजना से कुल 1426 मेगावाट बिजली की भी मांग रखी है. इन परियोजनाओं से उत्पादन शुरू होने पर बिहार को लाभ देने की सिफारिश की गई है.
गर्मी में मांग बढ़ने पर बाजार से बिजली खरीदता है बिहार
उल्लेखनीय है कि गर्मी और मानसून के दौरान बिहार में बिजली की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होती है. इस दौरान राज्य को बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ती है. यदि केंद्र से सीधे अतिरिक्त बिजली मिलती है, तो न केवल लागत घटेगी, बल्कि आपूर्ति भी निर्बाध रहेगी. फिलहाल बिहार में प्रतिदिन औसतन 7000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही है, जबकि अधिकतम खपत 8400 मेगावाट तक पहुंच जाती है. ऊर्जा विभाग का कहना है कि औद्योगीकरण और गर्मी के प्रभाव से आने वाले महीनों में यह मांग और बढ़ सकती है. ऐसे में समय रहते अतिरिक्त स्रोतों की पहचान और आवंटन जरूरी है.
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