Bihar News: बिहार की राजधानी पटना एम्स के डॉक्टर यजुवेंद्र साहू की संदिग्ध मौत के बाद मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. घटना के विरोध में मेडिकल छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रदर्शन अब चरणबद्ध आंदोलन में तब्दील हो चुका है. दिन हो या रात, छात्र पढ़ाई छोड़कर धरना स्थल पर डटे हुए हैं और प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं. मेडिकल छात्रों का कहना है कि एक डॉक्टर की मौत केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि यह एक व्यवस्था की विफलता है. रेजिडेंट डॉक्टर संघ ने भी प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं.
एम्स प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
लगातार हो रहे आंदोलन से एम्स का शैक्षणिक माहौल अस्त-व्यस्त हो चुका है. अब सभी की निगाहें निदेशक की वापसी और होने वाली बैठक पर टिकी हैं. देखना होगा कि क्या यह आंदोलन समाधान की दिशा में बढ़ेगा या छात्रों का आक्रोश और गहराएगा. डॉक्टर यजुवेंद्र की मौत को लेकर छात्र लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि एम्स प्रशासन की लापरवाही ने एक और जिंदगी निगल ली. यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी हरियाणा में कार्यरत एक एनेस्थीसिया डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली थी.
डॉक्टर की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग
ऐसे में यह दूसरी बड़ी घटना मानी जा रही है, जिसने देशभर के मेडिकल संस्थानों में मेंटल हेल्थ और कार्यसंस्कृति को लेकर नई बहस छेड़ दी है. बताया जा रहा है कि एम्स के डायरेक्टर इस समय विदेश दौरे पर हैं. उनके लौटने के बाद ही छात्र प्रतिनिधियों और प्रशासन के बीच बैठक होगी. तब जाकर आंदोलन के समाधान पर विचार किया जाएगा. फिलहाल छात्रों की मांग है कि डॉक्टर की मौत की निष्पक्ष जांच हो, मानसिक दबाव को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की जाए और संस्थान में मेंटल हेल्थ सपोर्ट सिस्टम को मजबूत किया जाए.
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