Bihar Police: (अनुज शर्मा, पटना) बिहार पुलिस अब अदालतों और थानों के बीच बेहतर समन्वय के लिए कोर्ट प्रभारी की नियुक्ति करने जा रही है. यह व्यवस्था सीबीआई और दिल्ली पुलिस की तर्ज पर लागू की जा रही है. कोर्ट प्रभारी के रूप में इंस्पेक्टर या दारोगा रैंक के पुलिस अधिकारी तैनात किए जाएंगे. यह व्यवस्था सेशन कोर्ट, स्पेशल कोर्ट, मजिस्ट्रेट कोर्ट और सबडिविजन कोर्ट में लागू की जाएगी. पहले यह प्रयोग पटना जिला में किया गया था, जो सफल रही. अब इसे राज्य के सभी न्यायालयों और थानों में लागू किया जाएगा.
हर कोर्ट में ‘कोर्ट नायब’ की नियुक्ति होगी
गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में एडीजी (सीआईडी) पारसनाथ और आईजी दलजीत सिंह ने बताया कि कोर्ट प्रभारी के साथ-साथ ‘कोर्ट नायब’ की भी नियुक्ति की जा रही है. प्रत्येक कोर्ट में कम से कम एक कोर्ट नायब रहेगा, जिसे ‘कोर्ट नायब न्यायालय’ कहा जाएगा. यह नायब एक सिपाही या उससे ऊपर रैंक का अधिकारी होगा.
उसका मुख्य काम रोजाना कोर्ट से मिलने वाले समन, वारंट, कुर्की आदेश जैसे दस्तावेजों को संबंधित थानों तक समय पर पहुंचाना होगा. इसी तरह थाना स्तर पर भी ‘कोर्ट नायब थाना पुलिस’ की तैनाती की जाएगी, जो हर दिन कोर्ट से जुड़े आदेशों को लेकर थाने को जानकारी देगा और उनके क्रियान्वयन को सुनिश्चित करेगा. इस पूरी पहल का मकसद कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या को कम करना और प्रक्रियाओं को तेज करना है.
स्पीडी ट्रायल से अपराधियों पर तेजी से कार्रवाई
बिहार पुलिस अपराध नियंत्रण के लिए स्पीडी ट्रायल पर विशेष जोर दे रही है. जनवरी 2025 से मई 2025 के बीच राज्य की अदालतों ने 38,071 मामलों में 52,314 अभियुक्तों को सजा सुनाई है. इससे यह साफ है कि अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है. चलिए अब देखते है किस अपराध में कितनी सजा मिली, हत्या के 207 मामलों में 508 लोगों को सजा, बलात्कार के 81 मामलों में 92 अभियुक्त दोषी, डकैती के 7 मामलों में 22 को सजा, अपहरण के 23 मामलों में 28 दोषी, दहेज संबंधित 39 मामलों में 60 को सजा, आर्म्स एक्ट के तहत 132 मामलों में 172 अभियुक्तों को सजा और कुल सजा के आंकड़े , 3 को फांसी, 489 को उम्रकैद, 246 को 10 साल या उससे ज्यादा की सजा, 585 को 2 से 10 साल की सजा, 1,093 को 2 साल तक की सजा, 49,898 को जुर्माना या अन्य प्रकार की सजा.
गवाहों की मजबूत प्रस्तुति से ट्रायल में तेजी
जनवरी से मई तक कोर्ट में 17,207 पुलिसकर्मी, 3,318 डॉक्टर और 49,515 अन्य गवाहों को पेश किया गया. इससे ट्रायल में तेजी आई और अपराधियों को सजा दिलाने में सफलता मिली.
(सहयोगी मानसी सिंह की रिपोर्ट)