Bihar Politics: पटना. दीघाघाट मैरीन ड्राइव पर 29 जून अलग ही विशिष्ट, अद्वितीय, अद्भुत, उत्साह से लबरेज संकल्पबद्ध नजारा दिखा. राज्य के विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में आये शिवाजी के वंशजों ने स्टैच्यू ऑफ़ गवर्नेंस की स्थापना के लिए मां गंगा के समक्ष संकल्प लिया कि छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, प्रशासनिक दक्षता और किसान हित की नीतियों के प्रतीक स्वरूप ‘स्टैच्यू ऑफ गवर्नेंस’ की पटना में स्थापना हो. मरीन ड्राइव पर रविवार को वरिष्ठ भाजपा नेता छत्रपति शिवाजी महाराज सामाजिक समरसता अभियान के संयोजक प्रणव प्रकाश के नेतृत्व में आयोजित यह रैली कई मायनों में अनूठी दिखी। स्वत: स्फूर्त भीड., संयमित और संकल्पबद्ध दिखी. रैली में आये समर्थकों को धूप,ताप की परवाह नहीं दिखी, बल्कि पिछले 4 साल से इस दिशा में राज्यभर में किये जा रहे जागरुकता के प्रति उत्साह ,अनुशासन और संकल्प दिखा.
बिहार में दूसरी बड़ी जाति शिवाजी के वंशजों की
अभियान के संयोजक , समाजसेवी प्रणव प्रकाश ने कहा कि बिहार में यादवों के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी शिवाजी के वंशजों की है. राज्य में करीब 5.8 प्रतिशत कुर्मी जाति के लोग हैं. शिवाजी महाराज महासंकल्प रैली का उद्देश्य सिर्फ प्रतिमा स्थापना की मांग नहीं है, बल्कि यह भारत के स्वाभिमान, सुशासन और किसानों की प्रतिष्ठा के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज के मूल्यों को जनमानस तक पहुंचाने का संकल्प भी है. संयोजक प्रणव प्रकाश ने बताया कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापना अभियान में इसी साल 20 अप्रैल को बिहारशरीफ के श्रम कल्याण मैदान में करीब 30 हजार समर्थकों ने एक साथ यह संकल्प लिया है. इसी क्रम में आज दीघाघाट के समीप शिवाजी के करीब 10 हजार समर्थकों का जुटान हुआ और मां गंगा के सामने संकल्प लिया गया ताकि गगनचुंबी प्रतिमा स्थापना हो सके.
लोक कल्याणकारी राजा थे शिवाजी
उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक योद्धा नहीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक और लोक कल्याणकारी राजा थे. आज के भारत में सुशासन की जो परिकल्पना की जाती है, उसकी नींव शिवाजी महाराज ने ही 17वीं शताब्दी में रख दी थी. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए शिवाजी महाराज की नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने किसानों को भूमि का अधिकार, सिंचाई की सुविधा, फसल की सुरक्षा और करों में रियायत दी. शिवाजी महाराज मानते थे कि राज्य की समृद्धि का आधार किसान हैं और इसी सोच से उन्होंने किसानों को राज्य की रीढ़ बनाया. यह प्रतीकात्मक प्रतिमा केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व की स्मृति नहीं, आज के भारत के लिए, जहां सुशासन, आत्मनिर्भरता और किसान हित सर्वोपरि हैं, उसके लिए प्रेरणास्रोत भी होगा.
Also Read: छठ के बाद बिहार में विधानसभा चुनाव के आसार, 22 साल बाद आयोग जांच रहा वोटर लिस्ट