विपिन कुमार मिश्र, बेगूसराय: कहा जाता है कि मानव जब जोर लगाता है तो पत्थर भी पानी बन जाता है. ऐसी ही कहानी है बिहार के बेगूसराय जिले में रहने वाले सुनील कुमार शर्मा की. सुनील कुमार शर्मा बेगूसराय के बखरी प्रखंड क्षेत्र स्थित सिमरी गांव के निवासी हैं. दिल्ली में जॉब छोड़कर सुनील अपने घर लौट आए और अब अपनी हारमोनियम फैक्ट्री में कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं. सुनील के बनाये हारमोनियम की डिमांड दुनिया भर में अब है. लेकिन उनके इस सफर में संघर्ष भी काफी अधिक रहा.
दिल्ली में नौकरी छोड़ी और गांव आकर बनाने लगे हारमोनियम
सुनील दिल्ली में 20 हजार रुपए महीने की नौकरी करते थे. वो वापस अपने गांव लौटे और हारमोनियम फैक्ट्री चलाने की ठान ली. आज सुनील अपने घर पर ही ना सिर्फ आत्मनिर्भर हैं बल्कि दर्जनों लोगों का घर उनकी फैक्ट्री से चल रहा है. सुनील के बनाये हारमोनियम की ना केवल देश बल्कि विदेशों में भी डिमांड है और वहां से ऑर्डर मिलना शुरू हो गया है.
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पिता के साथ ही हारमोनियम कंपनी में करते थे काम
सुनील के पास बीकॉम की डिग्री है. बीकॉम करके वो बड़े सपने लेकर दिल्ली गए थे. दिल्ली में उनके पिता राधेश्याम शर्मा हारमोनियम बनाने वाली एक फैक्ट्री में काम करते थे. सुनील भी वहीं काम करने लगे. उनके बनाए हारमोनियम की डिमांड देश-विदेश तक थी. हारमोनियम बनाते-बनाते ही सुनिल ने सोचा कि जब उसके बनाए हारमोनियम की इतनी डिमांड है तो वह अपने गांव में ही क्यों नहीं खुद हारमोनियम बनाकर सप्लाई कर सकता है.
बिहार आकर खोल ली फैक्ट्री
सुनील ने उसके बाद रॉ मटेरियल और लकड़ी आदि की जानकारी जमा की और 2015 में दिल्ली से अपने गांव लौट आए. यहां हारमोनियम की फैक्ट्री उन्होंने लगा ली. सुनील बताते हैं कि शुरुआती दौर में त्वीन की लड़की से हारमोनियम बनता था लेकिन वो सक्सेस नहीं था. कई शिकायतें आने लगी. जो शिकायत करते उन्हें या तो दूसरा हारमोनियम देते या पैसा लौटा देते. परेशानी आती रही लेकिन वो संघर्ष करते रहे.
बैंक ने लोन देने से कर दिया था इंकार
सुनील ने बताया कि जब पूंजी की जरूरत पड़ी तो बैंक गए. बैंक वालों ने कहा कि उनका यह रोजगार फ्लॉप है इसलिए लोन नहीं मिलेगा. जिसके बाद उसने सोनीपत, कोलकाता और दिल्ली से रॉ मैटेरियल मंगाकर हारमोनियम बनाना जारी रखा. सुनील बताते हैं कि विदेश में म्यूजिक थैरेपी में उनके हारमोनियम की डिमांड बढ़ी. अब उनके पिता भी इसी फैक्ट्री में काम करते हैं. दोनों छोटे भाई भी फैक्ट्री में सहयोग करते हैं.
अब लाख रुपए तक की हो रही आमदनी, 25 स्टाफ करते हैं काम
सुनील प्रत्येक महीना 150 से 200 हारमोनियम अपनी फैक्ट्री में बनाते हैं. उनके यहां 5000 से लेकर 75000 रुपए तक के हारमोनियम हैं. लेकिन कभी-कभी 1,20,000 रुपए वाले हारमोनियम की भी डिमांड आती है. उनकी फैक्ट्री में 25 सहयोगी काम करते हैं जिन्हें सुनील 10 हजार से लेकर 20 हजार तक पेमेंट करते हैं. करीब एक लाख की आमदनी सुनील को इस हारमोनियम फैक्ट्री खोलने से हो रही है.