शांतनू राज, पटना : शहर के नाले व सीवरेज से निकलने वाले कचरे को नष्ट करने के लिए जल्द ही बायो एसटीपी का इस्तेमाल किया जायेगा. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रदूषण नियंत्रित अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार डीआरडीओ की मदद से ऑर्गेनिक वेस्ट को खत्म करने के लिए इस नयी तकनीक को विकसित किया जा रहा है. इससे नगर निगम को नाले की सफाई के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों से छुटकारा मिलेगा. प्रदूषण विशेषज्ञ बताते हैं कि यह एक जैविक तकनीक है. इसके जरिये नगर निगम के वार्डों के ओवरफ्लो चैंबर व नाले में बनने वाली गाद को आसानी से नष्ट किया जा सकता है. इस प्रक्रिया में उपयोगी बैक्टीरिया को नाले में कल्चर किया जायेगा, ताकि नालों में बनने वाली गाद को निकाले बिना ही नष्ट किया जा सके.
होटलों का सीवेज किया जायेगा नष्ट
प्रदूषण बोर्ड के अनुसार इस मॉडल को नगर निगम व अन्य निकायों को डिस्पले किया जा चुका है, जिससे इसकी विशेषताओं को काफी सराहना भी मिल चुकी है. अधिकारियों ने कहा कि इस तकनीक से बड़े होटल व अपार्टमेंट के सीवेज को आसानी से नष्ट किया जा सकता है. वहीं, इस मॉडल से गांव व शहर के छोटे-छोटे तालाबों को प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है.मालूम हो कि एक अनुमान के अनुसार शहर के 75 वार्डों से नालों की सफाई के दौरान दो टन से अधिक गाद निकलती है. इससे नाला जाम होने व जलजमाव की समस्या होती है.
वर्ष में दो बार होती है नालों की उड़ाही
शहर में नौ बड़े नालों- सैदपुर, बांकीपुर, आनंदपुरी, कुर्जी, मंदिरी, सर्पेंटाइन, बाकरगंज, बाइपास, कंकड़बाग व योगीपुर नाले की उड़ाही पटना नगर निगम की ओर से वर्ष में दो बार की जाती है. इसमें कई माह का समय और करोड़ों में राशि खर्च होती है. वहीं,उड़ाही के दौरान निकलने वाले कचरे को सूखने के लिए पहले सड़क के किनारे कई दिनों तक रखना होता है. इससे जाम व धूल उड़ने की समस्या होती है. अगर निगम ऐसा प्रयोग शुरू करता है, तो ऐसी समस्याएं काफी हद तक कम हो जायेंगी.
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