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भारत-पाक युद्ध की कहानी: पटना में काले कागज से ढकी गयी थी घरों की खिड़कियां, गुरुद्वारे पर लगाए गए थे सायरन

भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन के बीच जब युद्ध पहले छिड़ा था तो उस दौरान पटना में ब्लैकआउट के हालात कैसे थे. लोग किस तरह जीवनयापन कर रहे थे. इसके बारे में पटना के सीनियर सिटीजन ने बताया है.

वर्ष 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों के दौरान पटना में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट किये गये थे. इन अभ्यासों का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को संभावित हवाई हमलों व इमरजेंसी हालातों से निपटने के लिए तैयार करना था. आज, जब भारत एक बार फिर ‘नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल’ और ‘ब्लैकआउट’ का अभ्यास कर रहा है, तो यह अतीत की उन तैयारियो को जीवंत कर देता है, जो 1971 में की गयी थी. यह दृश्य आज भी राजधानी पटना के सीनियर सिटीजन के दिलो-दिमाग में ताजा है. प्रभात खबर ने इस संदर्भ में पटना के कुछ सीनियर सिटीजन से बातचीत की, ताकि उन पुरानी यादों और नागरिक सुरक्षा की महत्ता को समझा जा सके.

स्वेच्छा से देशसेवा में गए पटना के कई नौजवान

पूर्व सिंधी एसोसिएशन के वरीय सदस्य रमेश चंद्र तलरेजा बताते हैं कि 1962 मे जब भारत-चीन युद्ध हुआ, तब मैं भारत सरकार के टेलीफोन विभाग में एक सामान्य कर्मचारी के रूप में कार्यरत था. युद्ध के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में कर्मचारियों की कमी को देखते हुए, सरकार ने ऐसे कर्मचारियों की तलाश शुरू की, जो बॉर्डर क्षेत्रों के टेलीफोन एक्सचेंजों में काम कर सके. पटना से कई नौजवानों ने स्वेच्छा से जाने की इच्छा जताई और मैं भी उनमें से एक था. हालांकि, मेरा आवेदन अस्वीकृत हो गया, लेकिन दो लोग चयनित होकर सीमा क्षेत्र के लिए रवाना हुए.

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घरों की खिड़कियों को काले कागज से ढंका गया था

रमेश चंद्र तलरेजा बताते हैं कि युद्ध के दौरान नागरिक सुरक्षा के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किये गये थे. घरों की खिड़कियों को काले कागज से ढंका जाता था, और वाहनों की हेडलाइट्स पर भी प्रतिबंध था. 1965 और 1971 के युद्धों में भी ऐसी ही तैयारियां थी, और लोग देशभक्ति से प्रेरित होकर सुरक्षा में योगदान दे रहे थे.

अपने घरों की लाइटों को ढक देने का था निर्देश

पटना जिला सुधार समिति के महासचिव राकेश कपूर कहते हैं- ” 1962, 1965 और 1971 के युद्ध काल की उन ऐतिहासिक तैयारियों की याद दिला दी. उन दिनों जब राष्ट्र युद्ध के संकट से गुजर रहा था, तब नागरिक सुरक्षा के लिए मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट जैसी महत्वपूर्ण कवायदें की जाती थी. ब्लैकआउट के दौरान लोगों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने घरों की लाइटों को ढक दें .

पटना में गुरुद्वारा के ऊपर भी एक सायरन लगाया गया था

राकेश कपूर बताते हैं कि पटना सिटी स्थित तख्त श्री हरिमंदिर जी गुरुद्वारा के ऊपर भी एक सायरन लगाया गया था, जो वर्षों तक वहां रहा. यह दौर सिर्फ युद्ध का नहीं था, बल्कि नागरिकों की एकजुटता, अनुशासन और देशभक्ति का प्रतीक भी था. आज जब हम फिर से मॉक ड्रिल का सामना कर रहे हैं, तो वह अतीत की चेतना, नागरिक सजगता और सुरक्षा के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता की याद दिलाता है.

ThakurShaktilochan Sandilya
ThakurShaktilochan Sandilya
डिजिटल मीडिया का पत्रकार. प्रभात खबर डिजिटल की टीम में बिहार से जुड़ी खबरों पर काम करता हूं. प्रभात खबर में सफर की शुरुआत 2020 में हुई. कंटेंट राइटिंग और रिपोर्टिंग दोनों क्षेत्र में अपनी सेवा देता हूं.

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