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बिहार के इस अस्पताल में रात के अंधेरे में होता है खून का सौदा, पहले भी उजागर हो चुका है मामला

बिहार के एक बड़े अस्पताल में ब्लड डोनेशन करने के बाद ही कार्ड इश्यू किया जाता है. लेकिन, 86 फर्जी डोनर कार्ड अलग-अलग कैंप में डोनेशन होने का जिक्र कर जारी किये गये हैं. अस्पताल के स्तर पर जांच के दौरान पता चला कि 86 डोनर कार्ड पर कहीं भी ब्लड डोनेशन नहीं किया गया है.

बिहार के गया एएनएमएमसीएच में एक बार फिर ब्लड बैंक को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. यहां पर रात के शिफ्ट में विभिन्न तिथि में फर्जी डोनर कार्ड पर 86 यूनिट ब्लड दिये गये हैं. यह काम अक्तूबर व नवंबर माह में किया गया है. हर बार दो-चार यूनिट में गड़बड़ी का मामला भी सामने आते रहा है.

एक बार अकाउंट में ब्लड के बदले 20 हजार रुपये ट्रांसफर कराने की बात भी उजागर हो चुकी है. ब्लड बैंक के एक कर्मचारी पर आरोप तक लगा था, फिर भी इस मामले को दबा दिया गया. इस बार भी मामले को हर स्तर से दबाने का प्रयास किया गया. लेकिन, मामला बड़ा होने के कारण चर्चाएं होने लगीं.

अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, ब्लड डोनेशन करने के बाद ही कार्ड इश्यू किया जाता है. लेकिन, 86 फर्जी डोनर कार्ड अलग-अलग कैंप में डोनेशन होने का जिक्र कर जारी किये गये हैं. अस्पताल के स्तर पर जांच के दौरान पता चला कि 86 डोनर कार्ड पर कहीं भी ब्लड डोनेशन नहीं किया गया है.

बिना ब्लड डोनेशन के ही कार्ड जारी किये गये हैं. अस्पताल के एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इसमें लाखों रुपये का खेल भी हुआ है. हर बार फर्जी डोनर कार्ड से रात में ही ब्लड दिया गया है. इसमें संदेह और मजबूत हो जाता है. कर्मचारी ने बताया कि ढंग से जांच की गयी, तो मामला पूरा सामने आ जायेगा. 

कम रहने पर डोनर कार्ड से नहीं देना है ब्लड

कम यूनिट ब्लड बैंक में खून रहने पर डोनर कार्ड से ब्लड देना बंद कर दिया जाता है. डोनर कार्ड या फिर थेलिसिमिया मरीज को ब्लड देने से पहले ब्लड बैंक प्रभारी से अनुमति ली जाती है. किसी मामले में अधीक्षक तक यह बात चली जाती है. इसके बाद ही डोनर कार्ड पर ब्लड मिल पाता है. लेकिन, सब कुछ फर्जी काम अधीक्षक व ब्लड बैंक प्रभारी की गैरमौजूदगी में रात में किया जाता है. 

कार्रवाई नहीं होने से बढ़ता जा रहा हौसला

अब तक जितने भी मामले सामने आये हैं, उस पर कार्रवाई होने के बजाय दबाने का प्रयास हर स्तर से किया जाता रहा है. यही कारण है कि यहां गलत करने वाले कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है. एक बार उपाधीक्षक ने कर्मचारी को चिह्नित कर ब्लड बैंक प्रभारी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया. इसके बाद भी ब्लड बैंक प्रभारी ने कर्मचारी नहीं होने की बात कह कर कार्रवाई को टाल दिया. 

बदनाम करने के लिए यह काम कर रहे कुछ कर्मी

हमें बदनाम करने के लिए कुछ कर्मचारी यहां ब्लड में हेराफेरी कर रहे हैं. दो कर्मचारियों को चिह्नित कर कार्रवाई की जा रही है. 86 यूनिट ब्लड फर्जी डोनर कार्ड पर दिये जाने की सूचना अधीक्षक को दी गयी है. उनक रिटायरमेंट का समय भी नजदीक आ गया है. इस स्थिति में परेशान करना उचित नहीं है. इस तरह के काम को वे कभी भी स्वीकार नहीं सकते हैं. डॉ दिलीप पांडेय, ब्लड बैंक प्रभारी

86 यूनिट ब्लड की हेराफेरी बहुत ही गंभीर

अस्पताल के ब्लड बैंक से 86 यूनिट ब्लड की हेराफेरी करना बहुत ही गंभीर मामला है. ब्लड बैंक के प्रभारी ने इसकी सूचना दी है. पहले भी प्रभारी को एक मामले में कर्मचारी पर कार्रवाई का निर्देश दिया गया था. लेकिन, उनकी ओर से कार्रवाई नहीं की गयी है. अब यह बड़ा मामला सामने आ चुका है. इसमें जांच कर कठोर कार्रवाई की जायेगी. डॉ एनके पासवान, प्रभारी अधीक्षक सह उपाधीक्षक, एएनएमएमसीएच

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RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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