जनता की परिक्रमा करनेवालों को मिलेगा टिकट, गणेश परिक्रमा वालों को नहीं : तेजस्वी यादव
संवाददाता, पटना
बापू सभागार में शनिवार को राजद के खुला अधिवेशन सह स्थापना दिवस समारोह में राष्ट्रीय परिषद की बैठक के तत्काल बाद लालू प्रसाद ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी तय करने हम सर्वेक्षण करा रहे हैं. विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी आपके बीच के ही होंगे. इस संबंध में मेरी तेजस्वी से बात हो रही है. वहीं, तेजस्वी यादव ने कहा कि इस बार जनता की परिक्रमा ( जनता के बीच पार्टी का काम करने वालों को) करने वाले को टिकट मिलेगा. गणेश परिक्रमा वालों को नहीं मिलेगा. तेजस्वी ने कहा कि लालू प्रसाद जो तय करेंगे, उसे हम सब को मानना है. अगर हम ऐसा करते हैं तो हमारी सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता है. इससे पहले राष्ट्रीय परिषद ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सहमति के आधार पर पार्टी के चारों प्रस्ताव मसलन राजनीतिक,आर्थिक, विदेश नीति और सामाजिक न्याय,जातिगत जनगणना और आरक्षण संबंधी प्रस्तावों को सर्वसम्मति से मंजूर किया. इस दौरान राजद की नयी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकृत किया गया. परिषद की बैठक में देश के 26 राज्यों की प्रतिनिधि शामिल हुए.अधिवेशन के दौरान प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ‘माई-बहिन’ योजना का फॉर्म लांच करते हुए कार्यकर्ताओं को इसे घर-घर वितरित करने को कहा. तेजस्वी ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि मुझे आप चुनाव तक के अभी तक बचे दो-चार माह दीजिये. मैं आपको सूद सहित चुका दूंगा. हमें नारों में नहींं, अब चुनाव परिणामों में क्रांति करनी है. हमें सकारात्मक नतीजे लाने हैं. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा कि लालू प्रसाद को चारा घोटाला में साजिश करके फंसाया गया. पहले जो लोग कांग्रेस में थे,वे ही लोग अब भाजपा और जदयू में शामिल हो गये हैं. उन्होंने मतदाता सूची के पुनरीक्षण का विरोध करते हुए कहा कि जनता को इसका विरोध करना चाहिए. राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्धीकी ने कहा कि तेजस्वी की सरकार बनाने के लिए संकल्प लेने की जरूरत है. वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि इन दिनों संविधान और लोकतंत्र बचाने की चुनौती है. पुनरीक्षण के मसले पर कहा कि तेजस्वी को इस मामले में सड़क पर बैठना होगा. लोगों को जेल जाने के लिए भी तैयार रहना चहिए. उदय नारायण चौधरी ने कहा कि पुनरीक्षण में वंचित तबके के नाम काटे गये तो 1942 की तरह बड़ा मूवमेंट होगा. बिहार बर्दाश्त नहीं करेगा.
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