बिहार के बक्सर जिले में है चौसा. वही चौसा जहां ऐतिहासिक युद्ध हुआ था. चौसा युद्ध आज के दिन ही 26 जून 1539 में हुआ था. कहा जाता है कि 25 जून की रात में ही आक्रमण शुरू हुआ था. यह युद्ध मुगल साम्राज्य के पतन में मिल का पत्थर साबित हुआ था. इससे जुड़ी कई यादें आज भी चौसा में मौजूद है. तीन-तीन बादशाहों का उदय करने वाले चौसा गढ़ का अब पर्यटन विभाग विकास कर रहा है.
1539 में 26 जून को ही हुआ था चौसा का युद्ध
15वीं सदी में गंगा और कर्मनाशा नदी के संगम पर मुगल और अफगानी शासक के बीच चौसा का युद्ध हुआ था. इतिहास के पन्ने में इस युद्ध की चर्चा बेहद महत्वपूर्ण युद्ध के रूप में की गयी है. भारतीय बादशाहियत के नए युग का आगाज इस युद्ध को बताया गया. अफगानी शासक ने आज यानी 26 जून को ही वर्ष 1539 में मुगल बादशाह को अपनी जान बचाने के लिए नदी में कूदकर भागने पर मजबूर कर दिया था.
शेरशाह सूरी ने अचानक किया था आक्रमण
25 जून 1539 को यूपी और बिहार के बॉर्डर के पास कर्मनाशा नदी के किनारे बसे चौसा कस्बे के पास शेरशाह सूरी की सेना ने मुगल सेना पर अचानक आक्रमण कर दिया था. आधी रात को यह हमला हुआ था. कई मुगल सैनिकों को संभलने का मौका तक नदी मिला और नदी में कूदने से उनकी मौत हो गयी थी. अफगान सैनिकों ने कई मुगल सैनिकों को मौत के घाट भी उतारा.


नदी में कूदकर भागा था हुमायूं!
शेरसाह सूरी के हमले से मुगल सम्राट हुमायूं की सेना कमजोर पड़ गयी और हुमायूं युद्ध भूमि छोड़कर भाग निकला था. किसी तरह उसने गंगा में कूदकर अपनी जान बचायी थी. अपनी कुशल कूटनीति के कारण शेरशाह सूरी चौसा का युद्ध जीत गया था. जिसके बाद वो बिहार और बंगाल का सुल्तान बना था. चौसा युद्ध के बाद अफगानों का प्रभुत्व भारत में बढ़ गया था. बाद में हुए बलग्राम और कन्नौज के युद्ध में भी हुमायूं हारा और उसे भारत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.


चौसा गढ़ का विकास कर रही सरकार
बिहार सरकार अब चौसा गढ़ का विकास कर रही है. दिसंबर 2023 से ऐतिहासिक चौसा युद्ध स्थली के कायाकल्प की प्रक्रिया शुरू की गयी है. बक्सर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर पश्चिम चौसा में शेरशाह की शौर्य स्थली है. जिसे ग्रामीण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. यहीं पर 26 जून 1539 को शेरशाह सूरी और हुमायूं के बीच युद्ध हुआ था. राज्य पर्यटन विभाग इसका विकास और सौंदर्यीकरण कर रहा है.
चौसा लड़ाई मैदान का विकास कार्य
चौसा लड़ाई मैदान के विकास के लिए राज्य पर्यटन विकास निगम 3 करोड़ 89 लाख 77 हजार की राशि खर्च करेगी. इस स्वीकृत राशि के पहले किश्त के रूप में 1 करोड़ 94 लाख 88 हजार 500 रुपए की रसशि से चौसा गढ़ का विकास किया जा रहा है.