संवाददाता, पटना : गांधी मैदान थाना क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल में शनिवार को परिजनों ने जमकर हंगामा और तोड़फोड़ की. रिशेप्सन के कंप्यूटर को तोड़ दिया गया. अस्पताल में मृत 10 माह के बच्चे की मां अनिमा ने आरोप लगाया कि मेरे बच्चे की मौत के बाद भी उसे जिंदा बता कर पैसा लिया गया. हद तो तब हो गयी, जब बच्चे के शव से बदबू आने लगी. इसके बाद उसे जिंदा बता कर दूसरी जगह ले जाने के लिए कहा गया. जब दूसरे अस्पताल में भर्ती कराने पहुंचे, तो वहां के अस्पताल प्रशासन ने कहा कि बच्चे की मौत 48 घंटे पहले ही हो गयी. इसके बाद परिवार के साथ यहां पहुंचे. डॉक्टरों से पूछने गये, तो हाथापाई करने लगे. यही नहीं, गलत आरोप लगा कर अपने स्टाफ से कह कर बाहर निकालने लगे. मृत बच्चे का परिवार दीघा के बाटा में रहता है. घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस के घंटों समझाने के बाद मामला शांत हुआ.
गलती की है, तो सबके सामाने माफी मांगें बस, मुझे शांति मिलेगी
अस्पताल के बाहर बैठी मां अनिमा बार-बार यही कह रही थी कि अस्पताल प्रशासन ने जो गलती की है, बस माफी मांग ले. सबके सामने माफी मांग ले, इससे मेरे बच्चे और मुझे शांति मिल जायेगी. अनिमा ने कहा कि बुधवार को बच्चे को सांस लेने में समस्या हो रही थी, तो उसे अस्पताल में हमने भर्ती कराया. यहां आने के दो-तीन घंटे के बाद ही बच्चा मर चुका था, लेकिन तीन दिनों तक मरे हुए बच्चे का इस अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाज किया. परिजन डॉक्टरों पर लापरवाही करने का भी आरोप लगा रहे हैं. हालांकि, उन्होंने आवेदन देने से मना कर दिया है. उनका कहना है कि अस्पताल हमसे माफी मांगे.
अस्पतालों के डॉक्टरों की डिग्री की जांच हो
अनिमा ने आगे कहा कि मेरी मांग यही है कि इस अस्पताल में जितने भी डॉक्टरों के पास एमबीबीएस की डिग्री है, ये मुझे बताया जाये, क्योंकि इन लोगों ने जिस तरीके से मेरे बच्चे का इलाज किया है, उसे लेकर इनकी डिग्री पर भी मुझे शंका है. गांधी मैदान थानेदार राजेश कुमार ने बताया कि 18 मार्च को बच्चे की मौत हुई थी. उनके परिवार का आरोप है कि बच्चे की मौत लापरवाही से हुई है. शनिवार को परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया है. परिजन ने आवेदन नहीं दिया है. आवेदन मांगने पर इन्कार कर दिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है