संवाददाता, पटना
बिहार में बिजली व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए राज्य सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है. अब 2034-35 तक पूरे राज्य में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए एक दीर्घकालिक कार्य योजना तैयार की गयी है. इस योजना के तहत बिजली पहुंचाने वाली ट्रांसमिशन लाइनों को मजबूत किया जायेगा ताकि हर कोने तक निर्बाध बिजली पहुंचायी जा सके. भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय ने 27 जून को ””रिसोर्स एडिक्वेसी प्लानिंग फ्रेमवर्क”” जारी किया है. इसके तहत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीइए) ने सभी राज्यों के लिए एक दीर्घकालिक योजना बनायी है, ताकि आने वाले वर्षों में बिजली की मांग और आपूर्ति में संतुलन बना रहे. बिहार के लिए यह योजना बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने सीइए के मार्गदर्शन में तैयार की है. इसमें 2034-35 तक बिजली की मांग को ध्यान में रखते हुए ट्रांसमिशन नेटवर्क को बेहतर बनाने की विस्तृत रूपरेखा बनायी गयी है.
बिजली की मांग 18,708 मेगावाट तक पहुंच सकती है: इस योजना में बताया गया है कि बिहार में 2034-35 तक बिजली की मांग 18,708 मेगावाट तक पहुंच सकती है. वर्तमान में यह मांग 8,428 मेगावाट है. बढ़ती जरूरत को देखते हुए 23,430 एमवीए ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता बढ़ानी होगी, 5,422 सर्किट किमी नयी लाइनें बिछानी होंगी और 459 सर्किट किमी पुरानी लाइनों को बदला जायेगा. इन सब कार्यों पर करीब 12,869.2 करोड़ का खर्च अनुमानित है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है