संवाददाता, पटना तकनीकी कॉलेजों में भी पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य होगी. इस संबंध में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीइ) ने निर्देश जारी कर दिया है. एआइसीटीइ ने कहा है कि इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और फार्मेसी के स्टूडेंट्स के लिए पर्यावरण शिक्षा अब अनिवार्य होगी. यूजीसी पाठ्यक्रम के तहत स्टूडेंट्स को पर्यावरणीय मुद्दों और समाधान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से शामिल किया गया है. सत्र 2025-26 से इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, फार्मेसी और मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों के सभी छात्रों को पर्यावरण विषय की पढ़ाई करनी होगी. जारी किये गये निर्देश में एआइसीटीइ ने कहा है कि स्नातक पाठ्यक्रमों के सभी स्टूडेंट्स को पर्यावरण की पढ़ाई अनिवार्य रूप से कराना जरूरी है. इसमें लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों में पर्यावरण विषय शामिल किया गया है. इसलिए सभी तकनीकी कॉलेजों में यूजी स्तर पर पर्यावरण विषय को शामिल करना होगा. यूजीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 की सिफारिशों के तहत पर्यावरण शिक्षा पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किया है. इसमें पढ़ाई समेत फील्ड में जाकर केस स्टडी भी करनी होगी. स्नातक कार्यक्रम के पाठ्यक्रम में नौ विषयों को शामिल गया हैं. कुल 30 घंटों की क्लासरूम स्टडी में एक विषय चार घंटे, तो अन्य छह-छह घंटे के हैं. इसके कुल चार क्रेडिट होंगे. इस पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता, जैविक विविधता का संरक्षण, जैविक संसाधनों और जैव विविधता का प्रबंधन, वन और वन्य जीवन संरक्षण और सतत विकास जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इसके अलावा छात्रों को 30 घंटे की केस स्टडी के साथ फील्ड वर्क भी करना होगा. एक सेमेस्टर एक क्रेडिट हासिल करना जरूरी होगा. एक क्रेडिट के साथ 30 घंटे की क्लासरूम स्टडी और फील्ड वर्क करना होगा.
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