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बापक नाम साग-पात, आ बेटाक नाम परोर जैसी लोकोक्तियों पर निबंध ने उलझाया

बीपीएससी की 70वीं मुख्य परीक्षा के पहले दिन शुक्रवार को दूसरी पाली में संपन्न निबंध की परीक्षा में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ बिहार की स्थानीय लोकोक्तियों को भी तवज्जो दी गयी.

-बीपीएससी की 70वीं मुख्य परीक्षा में स्थानीय लोकोक्तियों पर लिखवाया गया निबंध

संवाददाता, पटनाबीपीएससी की 70वीं मुख्य परीक्षा के पहले दिन शुक्रवार को दूसरी पाली में संपन्न निबंध की परीक्षा में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ बिहार की स्थानीय लोकोक्तियों को भी तवज्जो दी गयी. हालांकि, ‘बनले के साथी सब केहू ह अउरी बिगड़ले के केहु नाहीं’ और ‘जिअते माछी नाहीं घोंटाई’ ‘बापक नाम साग पात आ बेटाक नाम परोर’ ‘जइसन बोअबड ओइसने कटबड’ जैसी लोकोक्तियों पर 700-800 शब्द लिखने में परीक्षार्थियों के पसीने छूट गये. खंड तीन के चारों प्रश्न स्थानीय लोकोक्तियों पर ही आधारित थे और इनमें से एक निबंध लिखना अपरिहार्य था. ऐसे में परीक्षार्थियों के पास यह भी विकल्प नहीं था कि वे मुहावरे व लोकोक्तियों पर आधारित इन प्रश्नों को छोड़कर कोई और प्रश्न कर लें. 100 अंकों का एक निबंध होने से इसे हल्के में निबटाना भी सफलता में एक बड़ी बाधा बन सकती थी. पहली पाली में सामान्य हिंदी विषय की परीक्षा ली गयी. लेकिन केवल क्वालीफाइंग होने के कारण परीक्षार्थी उसमें सहज दिखे. परीक्षार्थी कोमल कुमारी ने कहा कि सामान्य हिंदी में ज्यादातर प्रश्न व्याकरण से पूछे गये थे. वहीं, निबंध का पेपर भी आसान रहा.

स्थानीय परीक्षार्थियों को मिला फायदा

एएन कॉलेज परीक्षा केंद्र से परीक्षा देकर निकले कई परीक्षार्थियों ने बताया कि निबंध का यह खंड बेहद चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि यह समझ में नहीं आ रहा था कि दो-तीन पैराग्राफ से अधिक वे इस पर कैसे लिखें. बचपन से आम बोलचाल में इस्तेमाल होते रहने और गांव में इस तरह की बातें एक दूसरे के बारे में हमेशा इस्तेमाल होने किये जाने के कारण स्थानीय परीक्षार्थी तो इसमें कुछ हद तक सोचने में भी सक्षम थे. लेकिन दूसरे राज्यों के परीक्षार्थियों के लिए यह और भी चुनौतीपूर्ण था. ऐसे में 700-800 शब्द टू द प्वाइंट लिखना बेहद मुश्किल था.

निबंध का पेपर काफी डायनेमिक था

चाणक्य आइएएस एकेडमी के रीजनल हेड डॉ कृष्णा सिंह ने कहा कि निबंध का पेपर काफी डायनेमिक था. अलग-अलग सेक्शन में अलग-अलग प्रश्न पूछे गये, जो देखने में तो आसान लग रहे थे, लेकिन उनमें काफी गहराई थी. तीसरे सेक्शन में पूरी तरह बिहार का परिदृश्य छाया रहा. पहला व दूसरा सेक्शन तुलनात्मक से कुछ प्रश्न आसान थे.

पहले व दूसरे सेक्शन में इस प्रकार पूछे गये प्रश्न

निबंध में पहले सेक्शन में चार प्रश्न जिसमें ‘समकालीन वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की महत्ता’ दूसरा प्रश्न ‘देश का विकास और सूचना प्रौद्योगिकी’ तीसरा प्रश्न ‘पर्यावरण असंतुलन सृष्टि का विनाशक है’ व चौथा प्रश्न भूमि संरक्षण और जैविक खेती था. वहीं, सेक्शन टू में पहला प्रश्न ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति और देश की सुरक्षा’, दूसरा प्रश्न ‘भ्रष्टाचार का अंत और देश का उत्थान, तीसरे प्रश्न ‘शिथिल कानून और व्यवस्था नारी सशक्तीकरण की बाधा है’ व चौथा प्रश्न ‘विश्व-कल्याण आध्यात्मिक चेतना के बिना असंभवन है’ पूछा गया.

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