अनुज शर्मा/ Exclusive: बिहार पुलिस महानिदेशक द्वारा अनुमोदित उच्चस्तरीय निर्देश में यह स्पष्ट किया गया है कि मानव तस्करी का शिकार कोई भी विदेशी महिला या बच्चा, यदि वैध यात्रा दस्तावेज के बिना भारत में पाया जाता है, तो उसे विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत अभियोजन का सामना नहीं करना पड़ेगा. यानी यदि जांच में यह साबित होता है कि वह व्यक्ति अपनी इच्छा से भारत नहीं आया और किसी आपराधिक गतिविधि में जानबूझकर शामिल नहीं है, तो उस पर विदेशी अधिनियम अथवा अन्य किसी दंडात्मक प्रावधान के तहत आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जाएगा. यदि पहले से कोई आरोप पत्र दायर किया गया हो, तो अभियोजन पक्ष उसे वापस लेने की कार्रवाई प्रारंभ करेगा.
सीमावर्ती जिला संवेदनशील घोषित
सूत्रों के अनुसार, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिलों को विशेष रूप से संवेदनशील घोषित किया गया है. इन जिलों के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक नेपाल एवं बांग्लादेश के समकक्ष अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करेंगे. इस प्रक्रिया में एसएसबी, कस्टम विभाग, जिला प्रशासन और प्रमुख गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी भी अनिवार्य होगी.
कार्ययोजना और रणनीति तैयार
संयुक्त टास्क फोर्स एक साझा कार्ययोजना और रणनीति तैयार करेगी, जिसकी रिपोर्ट बिहार सरकार के गृह विभाग के माध्यम से भारत सरकार को सौंपी जाएगी. मानव तस्करी से संबंधित किसी भी विदेशी नागरिक की गिरफ्तारी की स्थिति में विदेश मंत्रालय को तत्काल सूचित करना आवश्यक होगा. इस समन्वय की प्रमुख एजेंसी नई दिल्ली स्थित एमईए की सीपीवी शाखा होगी, जो विदेश मंत्रालय के स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित करेगी.