बिहार संग्रहालय, पटना और ऑस्ट्रेलियाई महावाणिज्य दूतावास, कोलकाता के संयुक्त सहयोग में ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी कलाकृतियों की एक विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ. बिहार संग्रहालय के ओरिएंटेशन हॉल में ऑस्ट्रेलियाई महावाणिज्य दूत ह्यू बॉयलन और बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से इस महत्वपूर्ण प्रदर्शनी का अनावरण किया. यह प्रदर्शनी आगामी बिहार संग्रहालय द्विवार्षिकी 3 के प्रारंभिक कार्यक्रम कर्टन रेजर के रूप में आयोजित की गयी है.
भारत और आस्ट्रेलिया की संस्कृति और कला भारत से मेल खाते हैं
इस अवसर पर महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि दक्षिणी विश्व के अधिकांश देशों की कला एवं संस्कृति के साथ भारतीय इतिहास का गहरा संबंध है, जिसे समझना अत्यंत प्रासंगिक है. उन्होंने बताया कि यह प्रदर्शनी आदिवासी चित्रकला पर केंद्रित है. 7 अगस्त से शुरू होने वाली द्विवार्षिकी में दक्षिणी विश्व के कई देशों के साथ सांस्कृतिक संवाद होगा, जैसे इक्वाडोर कोकोआ पर अपनी प्रदर्शनी प्रस्तुत करेगा और इंडोनेशिया व भारत के प्राचीन रिश्तों पर प्रकाश डाला जायेगा. ऑस्ट्रेलियाई महावाणिज्य दूतावास, कोलकाता के सहयोग से आयोजित यह प्रदर्शनी इसी संवाद का प्रारंभिक चरण है. ऑस्ट्रेलियाई महावाणिज्य दूत ह्यू बॉयलन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों का संबंध विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक से है, जिसका इतिहास 65,000 वर्षों से भी अधिक पुराना है. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया की जातीय, भाषाई और धार्मिक पृष्ठभूमि की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को साझा करना उनका उद्देश्य है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है