Patna News, अनुपम कुमार: इस वर्ष 12500 अंकों का स्वच्छ सर्वेक्षण होगा. इसमें जीएफसी के लिए 1300 और वाटर प्लस के लिए 1200 अंक होंगे जबकि चार चरणों के सर्वेक्षण पर 10 हजार अंक मिलेंगे. हर श्रेणी में अंक देने के लिए अलग-अलग इंडिकेटर और सब इंडिकेटर बनाये गये हैं, जिनकी संख्या क्रमश: 54 और 166 है. ‘स्वच्छ सर्वे 2024’ का सिटीजन फीडबैक पोर्टल खुलेगा और क्यूआर कोड स्कैन कर मोबाइल एप के माध्यम से लोग शहर की सफाई के प्रति अपनी राय व्यक्त कर सकेंगे. इसमें स्कूली बच्चों और महिलाओं के फीडबैक बढ़ाने पर जोर दिया जायेगा. इस वर्ष पटना नगर निगम ने गार्बेज फ्री सिटी श्रेणी में स्टार तीन रैंक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जो बीते वर्ष से दो स्टार ऊपर है. बीते वर्ष इस श्रेणी में उसे स्टार वन रैंक मिला था. हालांकि उसकी तैयारी अब तक दावे के अनुरूप नहीं दिख रही है.
अभी तक नहीं हटा शहर से डंपिंग सबयार्ड
बार-बार घोषणा के बावजूद बीच शहर से डंपिंग सबयार्ड अभी तक नहीं हटा है. एएन कॉलेज पानी टंकी मोड़ और गर्दनीबाग अस्पताल के सामने कचरे का पहाड़ के रूप में अभी भी यथावत बना हुआ है. इनके बदबू से आसपास के लोगों को जीना मुहाल हो गया है और बगल की सड़क से गुजरना भी मुश्किल है. सड़कों की सफाई और मुक्त किये गये कचरा प्वाइंट को साफ रखने का निगम प्रयास कर रही है लेकिन कई जगह इन पर भी कचरा फैला दिखता है. हालांकि इसके लिए केवल नगर निगम दोषी नहीं है बल्कि शहर के नागरिक भी जिम्मेदार है जो मेरा शहर मेरी जवाबदेही का सैद्धांतिक समर्थन तो करते हैं लेकिन व्यवहार में सड़क, बाजार और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर कचरा फैलाने से नहीं चूकते जब तक इस पर रोक नहीं लगेगा पटना कचरा मुक्त नहीं दिखेगा और इस श्रेणी में स्टार तीन रैंक के अपने दावे को प्राप्त नहीं कर पायेगा.
नाला में दिखते हैं जगह जगह तैरते पॉलिथीन
स्वच्छ सर्वे में नाला नाली की सफाई पर अंक दिये जाते हैं. सर्वेक्षण करने वाली टीम इस बात का निरीक्षण करती है कि नाला या नाली में पानी का बहाव सहज रूप से हो रहा है या नहीं. नाले के पानी में प्लास्टिक ऊपर तैरता हुआ नहीं दिखना चाहिए अन्यथा उसकी वजह से इस श्रेणी में मिलने वाले अंक कटते हैं. हालांकि शहर के अधिकतर बड़े नालों में इस तरह की स्थिति अभी भी दिखती है. 15 फरवरी से उसकी सफाई की योजना बनायी गयी है लेकिन उससे पहले यदि केंद्रीय टीम आ गयी तो इस श्रेणी में अधिक अंक लाना संभव नहीं दिखता है.
गीला व सूखा कचरा अलग लेने के लिए चलाया जा रहा अभियान
गीला कचरा और सूखा कचरा अलग अलग संग्रहित करने पर भी बल दिया जा रहा है क्योंकि इस श्रेणी में भी अलग से अंक दिये जाते हैं. इनमें अब तक पटना नगर निगम को बहुत कम अंक मिलते रहे हैं. लेकिन इस बार अलग से महिला मोबलाइजर समूह की नियुक्ति की गयी है जो कचरा गाड़ी के साथ चलती हैं और लोगों के घरों में जा-जाकर उन्हें गीला कचरा और सूखा कचरा को अलग अलग संग्रहित करने और कचरा गाड़ी में उसके लिए बने अलग अलग खानों में देने को कहती हैं. इनका असर भी हुइा है और इस रेणी के लिए निर्धारित 1000 अंक में पटना नगर निगम को इस वर्ष बीते वर्ष की तुलना में अधिक अंक आने की संभावना है.
कचरा निष्पादन पर भी मिलेंगे अधिक अंक
कचरा निष्पादन की व्यवस्था पर भी स्वच्छ सर्वे में अंक दिये जाते हैं. इसको देखते हुए इस बार रामाचक बैरिया डंपिंग यार्ड को चारदीवारी से घेर दिया गया है. वहां लिगेसी कचरा को काफी तेजी से निष्पादित किया जा रहा है और इस काम में दो एजेंसियां 24 घंटे लगी हैं. इससे अब पुराने कचरे के पहाड़ में केवल 20 फीसदी के आसपास ही बचे हैं. कंस्ट्रक्शन से जुड़े निर्माण सामग्री से उपयोगी धातुओं को निकालने के बाद मिट्टी और कंक्रीट के अवशेष से पेवर बनाने का प्लांट भी वहां काम कर रहा है. कचरा को जिन गड्ढे में निष्पादित किया जाना है उन गड्ढों को भी नये सिरे से बनाया गया है.
शौचालयों की उपलब्धता और सफाई पर दिये जायेंगे 1000 अंक
पटना नगर निगम ने शौचालयों की उपलब्धता और सफाई पर दिये जाने वाले 1000 अंको को ध्यान में रखते हुए शहर के लगभग एक दर्जन प्रमुख स्थानों पर शौचालयों का निर्माण शुरू किया है. इनमें हाइकोर्ट और पटना जू के गेट संख्या एक के समीप इनका निर्माण पूरा भी हो गया है. शौचालयों की बेहतर सफाई के लिए बीते चार-पांच महीनों से नगर निगम ने खुद अपने शौचालयों के सफाई का जिम्मा संभाल लिया है और यह काम स्वच्छांगिनी नामक महिलाओं की टीम को दिया है. यह टीम पानी का टैंकर और हाई प्रेशर जेटी लगे ई-रिक्शा की मदद से हर दिन दो बार इन शौचालयों की सफाई कर रही है. लिहाजा इस श्रेणी लिए निर्धारित 1000 अंक में भी इस वर्ष पिछले वर्ष से अधिक अंक मिलने की संभावना है. विदित हो कि पिछले वर्ष तक पटना नगर निगम के शौचालयों की देखरेख का जिम्मा एक निजी एजेंसी कर रही थी जिसके कारण इनकी सफाई ठीक ढंग से नहीं हो पा रही थी.
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मद-इंडिकेटर की संख्या – सबइंडिकेटर की संख्या -कुल अंक
दिखने योग्य सफाई -13-31 – 1500
ठोस कचरा प्रबंधन -11-25-1500
स्वच्छता की पक्षधरता- 5-17-1500
सेग्रीगेशन, संग्रहण और कचरे की ढुलाई- 3-8-1000
शौचालयों की उपलब्धता व सफाई- 5-35-1000
उपयोग किये गये पानी का प्रबंधन- 5-8- 1000
पर्यावरण तंत्र को सुदृढ करना व सांस्थानिक मानक- 5-12- 500
कचरे प्रबंधन का मशीनीकरण -3-19- 500
सफाई कर्मियों का कल्याण- 2-9-500
नागरिकों का फीडबैक और उनकी शिकायत को दूर करना-2-2-500
ओडीएफ, ओडीएफ , ओडीएफ ,वाटर – 1200
कचरा मुक्त शहर- 1300
छह राउंड में पूरा होगा स्वच्छ सर्वें
स्वच्छ सर्वे छह राउंड में पूरा होगा. इसके लिए हर राउंड में हर शहर में केंद्रीय टीम आयेगी. इनमें प्रथम तीन चरणों के लिए अलग अलग केंद्रीय टीम आ चुकी है और पटना समेत देश के विभिन्न शहरों का भ्रमण कर अपनी रिपोर्ट भी दे चुकी है. चौथा चरण शनिवार से शुरू हो रहा है और अगले दो-चार दिनों में इसके लिए केंद्रीय टीम पटना समेत देश के विभिन्न शहरों का भ्रमण करेगी. ओडीएफ, ओडीएफ , ओडीएफ ,वाटर और कचरा मुक्त शहर श्रेणी के सर्वे के लिए अलग से टीम दो राउंड में आती है .
इस वर्ष सुपर स्वच्छता लीग के लिए क्वालीफाई किये शहर
20 हजार से कम आबादी वाले शहर – पंचगनी (महाराष्ट्र), पाटन (छत्तीसगढ़)
20 से 50 हजार- वीता, शशवाद (महाराष्ट्र)
50 हजार से तीन लाख आबादी वाले शहर – अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) , तिरुपति (आंध्र प्रदेश), नयी दिल्ली
तीन से 10 लाख – नोएडा, चंडीगढ़
10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर- इंदौर, नवी मुंबई, सूरत
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