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फ्रेंडशिप डे आज: कुछ दोस्त ऐसे, जो दोस्ती की हैं मिसाल, स्कूल-कॉलेज से अब तक निभा रहीं साथ…

फ्रेंडशिप डे- सुख-दु:ख की घड़ी में जो काम आए, वही सच्चा दोस्त होता है. कहते हैं, दोस्त से खून का रिश्ता भले ही न हो, पर दोस्ती का रिश्ता सगे से भी बढ़कर होता है. इसलिए तो कुछ लोग इसे ‘दिल का रिश्ता’ भी कहते हैं. इस रिश्ते की अबतक न कोई व्याख्या कर सका और न ही कर पायेगा.

फ्रेंडशिप डे आज राजधानी पटना में कई ऐसी महिलाएं दोस्त हैं, जो एक दूसरे से भले ही दूर हों, पर उनकी दोस्ती आज भी उतनी ही मजबूत है, जितनी कभी कॉलेज के दिनों में हुआ करती थी. ये ऐसे दोस्त हैं, जिन्होंने अपने दोस्त को करियर में सफल करने के लिए हर तरह का सपोर्ट किया. आज के व्यस्त जीवन में भले ही इन सखियों का मिलना एक दूसरे से कम होता हो, पर वे सोशल मीडिया के माध्यम से एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं. आज फ्रेंडशिप डे पर ऐसी ही सखियों से रूबरू करा रही है जूही स्मिता की रिपोर्ट. 

हमारी दोस्ती की एक ही पॉलिसी है, ऑनेस्टी 

प्रो नीलिमा सिंह की तीन दोस्त हैं- माया पांडे, डॉ निर्मला रॉय और प्रो वीणा अमृत. नीलिमा कहती हैं, मेरी दोस्ती अलग-अलग जेनरेशन है. माया पांडे से वर्ष 1968, डॉ निर्मला रॉय से वर्ष 1994 और प्रो वीणा अमृत से 2003 में मेरी दोस्ती हुई. हमारे बीच सिर्फ एज का अंतर है, बल्कि सोच हम सभी की मिलती है. हम चारों एक-दूसरे के हर सुख-दु:ख में साथ रहते हैं. प्रो वीणा के साथ तो मैंने अपना पेपर इंटरनेशनल लेवल पर प्रेजेंट कर चुकी हूं. हमारे बीच काफी अच्छी बॉन्डिंग हैं. अलग-अलग होने के बाद भी दोस्ती में कोई फर्क नहीं आया है. आज भी हमारी दोस्ती उतनी ही गहरी है, जितनी पहले थी.हमारी दोस्ती की एक ही पॉलिसी है, ऑनेस्टी .

कोलकाता में हुई थी केया, पायल, सुमित्री से दोस्ती

मूल रूप के कोलकाता की रहने वाली मोमिता घोष पिछले 11 साल से बिहार संग्रहालय में कार्यरत हैं. वे कहती हैं, मेरी तीन काफी अच्छी दोस्त हैं केया, पायल और सुमित्री. इनसे मेरी मुलाकात पहली बार कोलकाता के म्यूजियम में हुई थी. प्रोजेक्ट वर्क के दौरान हम सभी एक साथ फील्ड विजिट करने जाते थे, जिससे हमारी बॉन्डिंग और ज्यादा गहरी हो गयी. सेम विषय होने के साथ-साथ हम तीनों फूड लवर्स भी हैं, तो जो भी ट्राय करते थें तीनों साथ करते थे. मेरी दोस्तों ने मेरे सफर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. वे सभी दोस्त मेरे लिए बेहद खास हैं. आज जब कभी भी कोलकाता जाती हूं, सभी से मिलती हूं और पुरानी यादों को ताजा करती हूं.

साल में एक बार प्लान कर जरूर मिलती हूं दोस्तों से
सृष्टि सिन्हा बोरिंग रोड की रहने वाली हैं. वे कहती हैं, स्कूल के लेकर कॉलेज तक में कितने दोस्त बनते हैं, मगर वक्त के साथ कहीं न कहीं उनसे दूरी बनती जाती है. मगर स्कूल के समय की मेरी कुछ दोस्त हैं, जिनसे मैं आज भी टच में हूं. जबकि, कॉलेज में ग्रेजुएशन और मास्टर्स के दौरान मेरी छह फ्रेंड कुहु, अपूर्वा, सह्याद्री, समीक्षा, प्रतिष्ठा और एमी बनी, जिन्हें काफी मिस करती हूं. स्कूल फ्रेंड में समृद्धि काफी क्लोज है. हम सब भले ही अलग-अलग हैं, पर साल में एक बार जरूर मिलना होता है. चाहे वह किसी ट्रिप के बहाने हो या फिर कोई और ओकेजन. हमारी वाइब्स इतनी स्ट्रांग है कि हम सब एक-दूसरे को सपोर्ट के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.  

स्कूल के रॉल नंबर की वजह से हुई थी हमारी दोस्ती

पटना वीमेंस कॉलेज की छात्रा वर्षा शंकर ने बताया कि मेरी दोस्ती ‘आस्था’, ‘अंशिका’, ‘अंतरा’ और ‘इशिका’ पहले स्टैंडर्ड से मेरे साथ है. दसवीं करने बाद हम अलग-अलग स्कूल में चले गये, लेकिन हमारी बॉन्डिंग इतनी अच्छी है कि हम सभी आज भी साथ हैं. ये सभी दोस्त मेरे लिए बेहद खास हैं और मेरे दिल में उसकी एक खास जगह है. हमारी दोस्ती होने का कारण स्कूल का रोल नंबर था. क्योंकि स्कूल में हम सभी का रोल नंबर एक-दूसरे के बाद था. हम स्कूल के टॉपर होने के साथ-साथ मॉनिटर भी थे. एक-दूसरे को पढ़ाना, मुड खराब होने पर चियरअप करना ये सब तब भी होता था और आज भी होता है.  

 

हम जब भी मिलते हैं, यादगार बन जाता है वह पल

राजेंद्र नगर की खुशबू कहती हैं, सच्चे दोस्त हमारी जीत का सिर्फ जश्न नहीं मनाते हैं, बल्कि वे हमारी मुश्किल घड़ी में हमारा सहारा भी बनते हैं. ऐसी ही मेरी तीन दोस्त है-  तापसी, श्रुति और संध्या. इनसे हमारी दोस्ती कॉलेज ऑफ कॉमर्स में ग्रेजुएशन के समय में हुई थी. मुझे आज भी याद है कि हमने पहली बार क्लास बंक कर कॉलेज के सामने वाले रेस्टोरेंट में चले गये थे, जिसके बाद टीचर से खूब डांट पड़ी थी. उसके बाद हम लोगों ने कभी क्लास बंक नहीं किया. मास्टर्स के वक्त हम तीनों अलग-अलग हो गये पर हमारी दोस्ती आज भी कायम है. मेरी शादी में ये तीनों दोस्त आयी थीं. जब भी मौका मिलता है, हम लोग मिलकर उस पल को यादगार बना देते हैं. 

RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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