Gopal Khemka murder case : पटना. बिहार की राजधानी पटना के चर्चित उद्योगपति गोपाल खेमका हत्याकांड ने सियासत से प्रशासन तक की नींद उड़ा दी है. इस कांड की जांच अब जेल तक पहुंच चुकी है. इसी सिलसिले में पटना के बेउर जेल में उच्चस्तरीय छापेमारी हुई. भारी पुलिस बल के साथ पटना जोन के आईजी जितेंद्र राणा और आयुक्त डॉ चंद्रशेखर सिंह बेउर जेल पहुंचे थे. छापेमारी के दौरान जेल के भीतर से तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए, जिसके बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया.
100 से अधिक कैदियों से हुई पूछताछ
छापेमारी के दौरान करीब 100 कैदियों से पूछताछ की गई, जिससे कई अहम सुराग मिलने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि प्रशासन ने फिलहाल पूछताछ में सामने आए तथ्यों को साझा करने से इनकार किया है, यह कहते हुए कि इससे ongoing investigation प्रभावित हो सकती है, लेकिन छापेमारी के बाद जेल प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए तीन कक्षपाल, अंतोष कुमार सिंह, आशीष कुमार और ओमप्रकाश को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. साथ ही डिप्टी सुपरिंटेंडेंट अजय कुमार, असिस्टेंट सुपरीटेंडेंट नीरज कुमार रजक और दफ़ा इंचार्ज गिरीश यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.इसकी पुष्टि आदर्श केंद्रीय कारा बेऊर जेल के अधीक्षक नीरज कुमार झा ने की है.
अपने साथ मोबाइल ले गये आईजी
बरामद किए गए मोबाइल फोन को जांच के लिए आईजी अपने साथ ले गए हैं. अब इन मोबाइलों की कॉल डिटेल्स और CDR के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या गोपाल खेमका हत्याकांड की साजिश जेल से रची गई थी. बेउर जेल से मोबाइल का मिलना और बाहरी अपराध से उसके कनेक्शन की संभावना एक बार फिर जेलों में सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है. आने वाले दिनों में इस जांच से कई बड़े खुलासे संभव हैं.
दोषी पाये जाने पर होगी विभागीय कार्रवाई
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में कक्षपाल अंतोष कुमार सिंह, आशीष कुमार और ओम कुमार गुप्ता को निलंबित कर दिया गया है. वहीं, ड्यूटी में मौजूद दफा प्रभारी कक्षपाल गिरीज यादव, बंदी खंड के वरीय प्रभारी सहायक अधीक्षक नीरज कुमार रजक और जेल उपाधीक्षक अजय कुमार से स्पष्टीकरण मांगा गया है.अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि आगे की जांच में किसी अन्य कारा कर्मी की संलिप्तता पाई जाती है तो उसके खिलाफ भी कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. यह छापेमारी चर्चित व्यवसायी गोपाल खेमका हत्याकांड के संदर्भ में भी बेहद अहम मानी जा रही है.
जेल में लगातार बढ़ती अनुशासनहीनता और मोबाइल बरामदगी की घटनाओं ने जेल प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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