Arif Mohammad Khan: (राजदेव पांडेय,पटना) राज्यपाल सह कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान ने बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंगीभूत कॉलेजों में नये प्रिंसिपल की पदस्थापना में रेंडम/लॉटरी सिस्टम के उपयोग की जरूरत के पीछे की वजह का खुलासा किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि, हमने तो केंद्र के सिस्टम को ज्यों का त्यों उठा लिया है. जिस पैरामीटर पर आइएएस की नियुक्ति होती है, वही हमने भी अपनायी. इसलिए प्रिंसिपल की पदस्थापना हम रेंडम सिस्टम से कर रहे हैं. उन्होंने यह बातें गुरुवार को पटना में पत्रकारों से एक विशेष चर्चा के दौरान बतायीं.
प्रिंसिपल की नियुक्ति पर कही बड़ी बात
राज्यपाल ने कहा कि, मुझे बताइये, आइएएस का क्या सिस्टम है? मैं क्या करूं. हालात यह बन गये थे कि, कुछ कॉलेजों में प्रिंसिपल बनाने के लिए तमाम सिफारिशें आ रही थीं. वहीं कुछ ऐसे भी कॉलेज थे, जहां कोई जाना नहीं चाहता. इसके लिए उन्होंने एक विशेष उदाहरण भी दिया. कहा कि, इन विषम इस परिस्थिति में मुझे प्रिंसिपल की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग के नियमों का सहारा लेना पड़ा. इसमें दो विकल्प होते हैं. एक विकल्प में जिसकी नियुक्त होनी है तो उसमें पति-पत्नी की पदस्थापना का ध्यान रखा जाता है. उनके माता-पिता की गंभीर बीमारी ध्यान में रखी जाती है. तो वहीं, शेष मामले में पदस्थापना के लिए रेंडम सिस्टम का उपयोग किया जाता है.
‘पसंद नियुक्ति का आधार नहीं होना चाहिए’
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, नियुक्तियों के मामले में मैंने तो अपनी पावर खत्म की है. रजिस्ट्रार और फाइनेंस अफसरों की नियुक्ति में मैंने ऐसा किया है. मैं चाहता ही नहीं हूं कि, विवेकाधीन अधिकार का इस्तेमाल अपनी पसंद के आधार पर करूं. पसंद नियुक्ति का आधार नहीं होना चाहिए. लिहाजा हमने इस मामले में कंसल्ट किया. बिहार बीपीएससी के चेयरमैन ने मुझे सुझाव दिया कि, इस नियुक्त में केंद्र सरकार के सिस्टम को अपनाना उचित रहेगा. हमने ऐसा ही किया.
साइंस कॉलेज में प्रिंसिपल की नियुक्ति पर दी प्रतिक्रिया
पटना के साइंस कॉलेज में प्रिंसिपल की नियुक्ति के संदर्भ में उठे सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, जब एक चिकित्सक या इंजीनियर आइएएस/आइपीएस बन सकता है तो होम साइंस का प्रोफेसर प्राचार्य क्यों नहीं हो सकता? उन्होंने साफ किया कि, प्रिंसिपल का पद प्रशासनिक है न कि एकेडमिक. जिनकी च्वाइस एकेडमिक है तो, वह यूनिवर्सिटी जाये और पढ़ाये. प्रिंसिपल की नियुक्ति में विषय का कोई महत्व नहीं होता है.
Also Read: बिहार की ट्रेनों में पहली बार ड्रोन से शराब की जांच, पैसेंजर ट्रेन में बड़ी खेप बरामद