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सफलता के लिए हार्डवर्क के साथ-साथ रिवीजन और अनुशासन जरूरी : आशी

पटना की आशी सिंह ने नीट यूजी 2025 में 12वां रैंक हासिल किया है.

नीट ऑल इंडिया रैंक : 12 (गर्ल कैटेगिरी आल इंडिया रैंक-2)पटना. पटना की आशी सिंह ने नीट यूजी 2025 में 12वां रैंक हासिल किया है. आशी एलन कैरियर इंस्टीट्यूट कोटा की क्लासरूम स्टूडेंट हैं और मूलतः पटना की रहने वाली हैं. उनकी और छोटी बहन की पढ़ाई के लिए पूरा परिवार दो साल पहले कोटा में शिफ्ट हो चुका है. आशी ने 10वीं कक्षा 99 व 12वीं कक्षा 96 प्रतिशत अंकों से पास की है. आशी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई पटना के डीपीएस से की और नीट की तैयारी के लिए पिछले दो साल से कोटा में थीं. आशी ने बताया कि नीट की तैयारी के लिए एलन से परफेक्ट इंस्टीट्यूट और कोटा से अच्छा इन्वायरमेंट नहीं मिल सकता. यहां हर कोई अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत कर रहा है और एक-दूसरे को देखकर ही स्टूडेंट्स मोटिवेट होते हैं. आशी ने अपना की ऑफ सक्सेस शेयर करते हुए बताया कि जब तक हम शांत होकर पढ़ाई नहीं करेंगे, तब तक एकाग्रता नहीं आती है. सफलता के लिए हार्डवर्क के साथ-साथ रिवीजन और अनुशासन को जरूरी मानती हूं. रिवीजन मेरी सबसे बड़ी ताकत है. मैंने बॉयो में टॉपिक्स को बार-बार रिवाइज किया, फिजिक्स और केमिस्ट्री में प्रश्नों को बार-बार सॉल्व किया. यही वजह है कि मेरा सब्जेक्ट्स पर कंट्रोल होता चला गया. हर टेस्ट के बाद सेल्फ एनालिसिस करती थी. यह भी सक्सेस का मुख्य कारण है. क्योंकि इससे स्टूडेंट को कमजोरियों का पता चल जाता है और वे उन्हें फैकल्टीज की मदद से या रिवीजन करके दूर कर सकता है. रोजाना क्लासरूम के अलावा 6-7 घंटे सेल्फ स्टडी करती हूं. खुद का फोन नहीं था. फैकल्टीज से कम्यूनिकेशन के लिए मम्मी का फोन यूज करती थी. दो साल तक कोचिंग में हुए टेस्ट में मेरे एवरेज मार्क्स हमेशा 700 से ज्यादा आते थे. कई बार छोटी-छोटी गलतियों की वजह से 695 तक भी आये, लेकिन अगले टेस्ट में मैं उन गलतियों को दोहराने से बचती थी. फिलहाल एम्स दिल्ली से एमबीबीएस करूंगी. स्पेशलाइजेशन के बारे में फिलहाल कुछ सोचा नहीं है. पिता संजीव कुमार (कैप्टन, मर्चेन्ट नेवी) व माता रंजू कुमारी शर्मा ने काफी सपोर्ट किया.

मूल रूप से मटिहानी की रहने वाली हैं:

आशी मूल रूप से मटिहानी सीवान की रहने वाली हैं. उनके पिता मर्चेंट नेवी में कप्तान हैं और लंबे समय तक समुद्र में रहने के बावजूद उन्होंने अपनी बेटी को हमेशा प्रेरित किया. उनकी माता एक गृहिणी हैं, लेकिन पढ़ाई को लेकर उनका समर्पण इतना गहरा है कि उन्होंने आशी की पढ़ाई में पूरा सहयोग दिया और हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं.

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