मनोज कुमार, पटना बिहार में प्रतिबंधित ताड़ी और शराब के पारंपरिक धंधे से जुड़े परिवारों ने अब इससे तरह दूरी बना ली है. बीते डेढ़ वर्षों से इन परिवारों की संलिप्तता इन प्रतिबंधित धंधे में नहीं पायी गयी है. सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत इन परिवारों को लाभ दिये जाने के लिए कराये गये सर्वे में ये तथ्य सामने आया है. बीते वर्ष 2024-25 और इस साल 10 जुलाई तक की अवधि में इन पुश्तैनी धंधों से जुड़े लोग शराब या ताड़ी के अवैध व्यापार में शामिल नहीं पाये गये. वर्ष 2018-19 से वर्ष 2023-24 तक देसी शराब के उत्पादन, बिक्री में पारंपरिक रूप से जुड़े 13 हजार 56 परिवार चिह्नित किये गये. जबकि इस अवधि में ताड़ी के उत्पादन और बिक्री में 32 हजार 938 परिवार चिह्नित हुए. शराब व ताड़ी दोनों में डेढ़ साल से पारंपरिक रूप से जुड़े लोग शामिल नहीं पाये गये. 2021 में 6491 परिवार शराब के धंधे में संलिप्त पाये गये थे : वर्ष 2018-19 में देसी शराब के उत्पादन और बिक्री में 659 परिवार चिह्नित किये गये थे. वर्ष 2019-20 में 1624, 2020-21 में 1500 परिवारों को चिह्नित किया गया था. वर्ष 2021-22 में 6491, 2022-23 में 2545 और वर्ष 2023-24 में 237 परिवार देसी शराब के धंधे से जुड़े हुए पाये गये थे. इसके बाद पारंपरिक पेशेवर नहीं मिले. सतत् जीविकोपार्जन योजना से मिला इन परिवारों को लाभ : शराब और ताड़ी पर प्रतिबंध लगाने के बाद इन परिवारों की जीविका प्रभावित न हो, इसके लिए राज्य सरकार ने सतत् जीविकोपार्जन योजना शुरू की. इसके तहत इन परिवारों के राशनकार्ड बनवाये गये. व्यापार के लिए ऋण दिये गये. बैंक खाता खुलवाया गया. इनको पशुपालन से जोड़ा गया. बड़ी संख्या में साल दर साल चिह्नित हुए ताड़ी बेचने वाले ताड़ी के पुश्तैनी धंधे में वर्ष 2018-19 में 2809 परिवार चिह्नित किये गये थे. वर्ष 2019-20 में 13227, 2020-21 में 2752, 2021-22 में 8801 परिवारों को चिह्नित किया गया. साथ ही 2022-23 में 3068 और 2023-24 में 2281 परिवार इस धंधे में संलिप्त मिले थे.
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