इंट्रो: करीब पांच सौ करोड़ रुपये खर्च कर सरकारी स्कूलों में कक्षा नौ से 12 वीं कक्षा के बच्चों कों हिंदी-अंगरेजी माध्यम की किताबें मुहैया करायी जायेगी. हिंदी और अंग्रेजी माध्यमों में प्लस टू स्कूल में पढ़ाई कराने की सरकार की मंशा है. शिक्षा विभाग इस पर विचार कर रहा. संवाददाता,पटना बिहार में सरकारी स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा प्रयोग प्रस्तावित किया गया है. शिक्षा विभाग की मंशा है कि कक्षा नौ से 12 वीं तक की किताबें दो भाषाओं (द्विभाषिक ) हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में छाप कर विद्यार्थियों को निशुल्क उपलब्ध करायी जायें. विभाग की इस मंशा के अनुसार करीब 40 लाख बच्चों के लिए किताबें प्रकाशित करने की योजना है. आधिकारिक जानकारी के अनुसार हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में किताब छापने पर कुल करीब 500 करोड़ से अधिक राशि खर्च आने का आकलन किया गया है. इन किताबों को छपवाने की जिम्मेदारी बिहार राज्य पाठ्य पुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड को दी जायेगी. निगम ने इस आशय का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेजा है. किताब छापने के लिए वित्तीय हरी झंडी मिलने के बाद किताबें प्रकाशित कर स्कूलों में भेज दी जायेंगी. पुस्तकें निविदा के आधार पर छपवायी जा सकती हैं. यह किताबें एनसीइआरटी पैटर्न पर प्रकाशित की जायेंगी. केवल इतिहास के कुछ चेप्टर में बिहार की कुछ बातों को समाहित किया जा सकता है. विभाग की मंशा है कि शैक्षणिक सत्र 2025-2026 में ही यह किताबें प्रकाशित करायी जायें. आधिकारिक जानकारी के अनुसार बिहार लोक सेवा अयोग के जरिये चयनित शिक्षकों के जरिये हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी मीडियम की किताबों से भी पढ़ायी कराना आसान हो गया है. सरकारी स्कूलों में प्लस टू कक्षाओं में अंग्रेजी माध्यम का प्रयोग उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा कदम होगा.
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