संवाददाता, पटना 22 अप्रैल से फिर से शुरू होने जा रही मोहल्ला सभा के आयोजन में नगर निकाय में शामिल नये ग्रामीण क्षेत्राें को तवज्जो दी जायेगी. सूत्राें की मानें तो नगर विकास विभाग से जिला प्रशासन को मिले दिशा निर्देश में भी इसे स्पष्ट रूप से इंगित किया गया है. यही वजह है कि मोहल्ला सभा के आयोजन के लिए जिन जगहों की सूची प्रकाशित की गयी है, उनमें अधिकतर पहले पटना ग्रामीण क्षेत्रों में शामिल थे और बीते दशक में ही इन्हें पटना नगर निगम में शामिल किया गया है. कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी डीडीसी समीर सौरभ ने भी नगर निकाय में नये शामिल क्षेत्राें को मोहल्ला सभा के आयोजन में तवज्जो देने की पुष्टि की है. 22 अप्रैल को फिर से शुरू होने वाले इस आयोजन का शुभारंभ सीएम नीतिश कुमार कर सकते हैं. नगर में शामिल करने के वर्षों बाद भी नहीं बढ़ीं सुविधाएं पटना नगर निगम में 2017 में मैनपुरा गोसांईंटोला, मखदुमपुर और कुर्जी बालूपर के ग्रामीण क्षेत्राें को शामिल किया गया. इन्हें तीन नये वार्ड संख्या 22ए, वार्ड संख्या 22 बी और वार्ड संख्या 22 सी का नाम दिया गया. इनमें वार्ड संख्या 22 ए में मखदुमपुर और बांसकोठी, वार्ड संख्या 22 बी में गोसांईं टोला का अधिकतर क्षेत्र और कुर्जी बालू पर और वार्ड 22 सी में मैनपुरा और गोसांईं टोला के कुछ क्षेत्र शामिल हैं. इन वार्डों के गठन के बाद से पटना नगर निगम के कुल वार्डों की संख्या 72 से बढ़कर 75 हो गयी. लेकिन नगर निगम क्षेत्र में शामिल करने के वर्षों बाद भी यहां सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं. इन क्षेत्रों में न ताे नल जल योजनाएं घरों तक पहुंच सकी हैं और न ही सीवरेज नेटवर्क को बिछाया जा सका है. सड़क की स्थिति भी खस्ताहाल है. कई जगह पीसीसी सड़क में बड़े बड़े गड्ढ़े बन जाने के कारण वहां से गुजरते समय तेज जर्क झेलना पड़ता है. बरसात में यहां जलजमाव से भी लोगों को परेशानी होती है. ड्रेनेज की कमी के कारण बारिश का पानी कई क्षेत्रों से जल्द नहीं निकल पाता. इससे लोगों को पूरे बरसात परेशानी झेलनी पड़ती है और आना जाना भी मुश्किल होता है. न्यू बाइपास के दक्षिण स्थित कॉलोनियों में भी मोहल्ला सभा के आयोजन पर होगा जोर न्यू बाइपास के दक्षिण स्थित कॉलोनियों में भी जनसुविधाओं की बेहद कमी है. लोगों ने बड़ी संख्या में ऐसी जमीन पर घर बना लिया, जो ऐसे खेत थे, जहां पूरे बरसात जल लगा रहता था. सीवरेज सिस्टम और नालों के विकास नहीं होने के कारण बसने के दो-तीन दशक बाद भी अब तक इन क्षेत्रों में न तो प्रभावी सीवरेज नेटवर्क बन पाया है और न ही सड़कों की व्यवस्था पूरी तरह दुरूस्त हो पायी है. पेयजल आपूर्ति जैसी सुविधाओं का भी इन मोहल्लों में अभाव है. न तो पाइप लाइन का घर घर विस्तार हो सका है और न ही पर्याप्त संख्या में बोरिंग ही गाड़े गये हैं. ऐसे में इन क्षेत्राें की समस्याओं को भी मोहल्ला सभा के माध्यम से उठाने और नगर निगम तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों और स्थानीय वार्ड पार्षद द्वारा मिलजुल कर उनका निदान निकालने का प्रयास होगा.
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