इंट्रो :: पटना में 17 अप्रैल को महागठबंधन की बैठक में एजेंडा और सामूहिक चेहरे पर चुनाव में उतरने पर चर्चा होगी.इसके पहले मंगलवार को नयी दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर मिले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव. पटना में अगले दौर की बैठक में स्थिति और स्पष्ट होगी. संवाददाता, पटना बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मंगलवार को दिल्ली में महागठबंधन के प्रमुख घटक दल कांग्रेस और राजद के शीर्ष नेताओं की बैठक हुई. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर एकघंटे की हुई इस बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मौजूद थे. लगभग एक घंटे तक चली इस प्रारंभिक चर्चा में बिहार विधानसभा चुनाव को सामूहिक चेहरे और साझा रणनीति के साथ लड़ने पर जोर दिया गया. हालांकि, महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा चुनाव नतीजों के बाद ही तय करने का फैसला हुआ. लेकिन, 17 अप्रैल को पटना में होने वाली महागठबंधन की बैठक में चेहरा और एजेंडे की तस्वीर और भी साफ होगी. राजद और कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन ने चुनाव के लिए सामूहिक मुद्दों और रणनीति पर काम करने का निर्णय लिया. सभी दल एक साझा एजेंडे के तहत चुनाव प्रचार करेंगे और हर चुनावी मंच पर सभी दलों के नेताओं की उपस्थिति सुनिश्चित होगी. बैठक में सीट बंटवारे पर भी चर्चा हुई, जिसमें समय रहते सीटों का तालमेल पूरा करने पर सहमति बनी ताकि अंतिम समय में कोई असमंजस न रहे. कांग्रेस की ओर से खरगे के अलावा राहुल गांधी बैठक में मौजूद रहे. जबकि राजद की तरफ से तेजस्वी यादव के साथ सांस मनोज झा और संजय यादव शरीक हुए. दोनों दलों की शीर्ष नेताओं की बैठक में छोटे दलों और नए सामाजिक-राजनीतिक संगठनों को महागठबंधन में शामिल करने का विकल्प खुला रखने का फैसला हुआ. इनके शामिल होने पर आपसी सहमति से निर्णय लिया जायेगा. महागठबंधन के प्रदेश नेतृत्व को स्थानीय स्तर पर सीट तालमेल के लिए जल्द बैठक करने का निर्देश दिया गया. बिहार को आगे ले जाने के लिए बेहद सकारात्मक बातचीत हुई– तेजस्वी यादव बैठक के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि हम सभी ने बातचीत की है. बैठक सकारात्मक रही. हम सभी 17 तारीख को पटना में अपने गठबंधन सहयोगियों मसलन वाम दल, कांग्रेस और वीआइपी आदि के साथ बैठेंगे. हम बिहार को मजबूती के साथ आगे ले जायेंगे. हम मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. कहा कि 20 साल से राज्य में और 11 साल से केंद्र में एनडीए सरकार है. इसके बाद भी बिहार में पिछड़े राज्यों में शामिल है.
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