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Patna News : कचरे के निबटारे को बैरिया में लगेगी देश की पहली वीजीएफ आधारित परियोजना

पटना व इसके आसपास के 11 नगर निकायों के लोगों को जल्द ही कचरे से मुक्ति मिलने वाली है. बिहार सरकार की पहल पर केंद्र ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की बड़ी परियोजना को मंजूरी दे दी है.

संवाददाता, पटना: पटना सहित इसके आसपास के 11 नगर निकायों के लोगों को जल्द ही कचरे की बदबू और गंदगी से मुक्ति मिलने वाली है. बिहार सरकार की पहल पर केंद्र ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की बड़ी परियोजना को मंजूरी दे दी है. इससे न केवल सफाई व्यवस्था सुधरेगी, बल्कि पर्यावरण और जनस्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा. नगर विकास मंत्री जिवेश कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. मंत्री ने बताया कि परियोजना रामचक बैरिया (पटना) की भूमि पर विकसित की जायेगी, जहां प्रतिदिन 1600 टन कचरे के प्रसंस्करण की व्यवस्था होगी. यह पूरी परियोजना ”डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन एवं हस्तांतरण” (डीबीएफओटी) मॉडल के तहत लोक-निजी भागीदारी में लागू की जायेगी. राज्य का एक पैसा भी खर्च नहीं होगा. यह देश की पहली सामाजिक अवसंरचना परियोजना है, जिसे केंद्र सरकार ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) से मंजूरी दी है. स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 के अंतर्गत 514.59 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के लिए केंद्र 30 प्रतिशत राशि जारी कर चुका है. वीजीएफ उन जनहित योजनाओं को सहयोग देती है, जो निजी कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से पूरी तरह लाभकारी नहीं होती. मंत्री ने दावा किया कि इससे पटना नगर निगम सहित दानापुर, फुलवारीशरीफ, फतुहा, खगौल, संपतचक, मनेर, मसौढ़ी, बिहटा, बख्तियारपुर, नौबतपुर और पुनपुन नगर निकायों को लाभ मिलेगा. अभी तक इन इलाकों में ठोस कचरे का वैज्ञानिक प्रबंधन लगभग नहीं था, जिससे प्रदूषण और बीमारी की समस्याएं आम थीं. अब यह स्थिति बदलेगी.

15 मेगावाट बिजली पैदा होगी, गैस-खाद भी मिलेगी

परियोजना के तहत कई आधुनिक संयंत्र लगाये जायेंगे. इनमें 15 मेगावाट िबजली उत्पादन, 100 टन बायो-मीथेनेशन, 250 टन एमआरएफ-कम-आरडीएफ, 700 टन कंपोस्ट संयंत्र और 325 टन क्षमता वाला सुरक्षित लैंडफिल शामिल है. इन संयंत्रों से अपशिष्ट से ऊर्जा, खाद और पुनः उपयोगी सामग्री प्राप्त की जायेगी. संयंत्र 30 महीने में चालू होगा.

भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर व दरभंगा में भी लागू होगी

मंत्री ने कहा कि यह परियोजना न सिर्फ सफाई में सुधार लाएगी, बल्कि रोजगार भी सृजित करेगी. संयंत्रों के संचालन के लिए तकनीकी व गैर-तकनीकी कर्मियों की आवश्यकता होगी. उत्पन्न बायोगैस और बिजली का उपयोग स्थानीय जरूरतों में किया जाएगा. राज्य सरकार मानती है कि यह मॉडल अन्य जिलों में भी लागू किया जा सकता है. आने वाले वर्षों में इसे भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर और दरभंगा जैसे बड़े नगर निकायों में भी शुरू की जायेगी.

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