आद्री के संस्थापकों डाॅ शैबाल गुप्ता और डाॅ प्रभात पी घोष की स्मृति में वर्कशॉप
संवाददाता, पटना
क्लाइमेट चेंज के डेटा से मौसम व जिन जगहों पर बार-बार भूकंप व भू स्खलन की आशंका होती है की जानकारी मिल सकती है.बुधवार को आद्री के संस्थापकों डाॅ शैबाल गुप्ता और डाॅ प्रभात पी घोष की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय इनोवेशन वर्कशॉप में डेटा विज्ञान विशेषज्ञ डाॅ मौसमी गुप्ता ने पैटर्न रिकॉग्निशन शीर्षक पर व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि कैसे सिक्किम में अपनी पढ़ाई के दौरान डेटा का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया कि कहां भूस्खलन अधिक बार होगा. कार्यक्रम में आद्री के दानिश राजदान और नेहा गुप्ता द्वारा नवोदित शोधकर्ताओं के लिए सिस्टमैटिक रिव्यू और मेटा एनालिसिस पर प्रेजेंटेंशन दिया गया. इससे पहले आद्री की सदस्य सचिव डाॅ अस्मिता गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया.आद्री की पूजा कुमारी ने सीएसइसी-इआइएसीपी, आद्री की स्थापना और प्रमुख गतिविधियाें के बारे में जानकारी दी. इआइएसीपी यानी पर्यावरण सूचना, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम आद्री के सेंटर फाॅर स्टडीज आॅन इनवारन्मेंट एंड क्लाइमेट चेंज (सीएसइसी) द्वारा चलाये जा रहे हरित कौशल विकास कार्यक्रमों के साथ-साथ जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए जागरूकता कार्यक्रमों के बारे में बात की. आद्री के सेंटर फॉर हेल्थ पॉलिसी की डाॅ संचिता महापात्रा ने सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान: फ्रेमिंग और कार्यप्रणाली पर बात रखी. तरुमित्रा की देवोप्रिया दत्ता ने लोगों के बीच पारिस्थितिक संवेदनशीलता पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
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