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World Photography Day: बिहार के फोटोग्राफरों का प्रेरक सफर, कैमरों के जरिए दिखाया दुनिया के अहम पहलुओं को

आज वर्ल्ड फोटोग्राफी डे है. फोटोग्राफी आज हर जन मानस में रच बस गया है. ऑब्सक्यूरा से हुई शुरुआत के बाद अब फिल्म कैमरा, डिजिटल कैमरा और अब मिररलेस कैमरे का चलन है. आज हम आपको बिहार के कुछ फोटोग्राफरों के सफर को बताया रहे हैं हैं, जिन्होंने दुनिया में नाम रोशन किया है.

World Photography Day: मानव विकास के साथ-साथ उसकी संचार यात्रा शब्दों से पहले इशारों, चिह्नों और चित्रों के जरिये शुरू हुई थी जो आज सेल्फी युग तक पहुंच गयी है. ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने से लेकर रंगीन होने तक फोटोग्राफी में काफी बदलाव आया है. यह बदलाव पिछले कई वर्षों से जारी है. फोटो में जान तब आती है जब कोई फोटोग्राफर अपनी संवेदना इसमें डालते हैं.

बिहार के वरिष्ठ फोटोजर्निलिस्ट बीके जैन के समर्पण ने दिलाया उन्हें मुकाम

पांच दशकों से ज्यादा समय से बीके जैन जर्लिज्म के साथ-साथ पिक्टोरियल, नेचर और ट्रेवल फोटोग्राफी की है. ये विगत 54 सालों से फोटोग्राफी के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. 1965 में जब इन्होंने देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लोगों की तस्वीरों को छपते देखा तो इन्हें भी छपने का विचार आया. ऐसे में इनकी मंगेर के डॉ बीजी बोस जैसे जानकार से मुलाकात हुई. जिन्होंने इस क्षेत्र की बारीकियों से रूबरू कराया. 1979 में मुंगेर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 7 विभागों में एंट्रीज मांगी थी, जिसमें इन्हें सातों विभाग में पुरस्कृत किया गया. इसी वर्ष इन्हें दिल्ली जाकर गुरु ओ पी शर्मा से मिलने का मौका मिला. इनसे इन्होंने एडवांस लेवल की फोटोग्राफी की बारीकियों को सीखा.

बिहार सरकार के यूथ विभाग की ओर से 1981 और 1985 में स्वर्ण पदक से नवाजा गया. इनका काम बिहार म्यूजियम, पटना म्यूजियम, नृत्य कला मंदिर, ओल्ड सेक्रेटेरिएट, बापू सभागार, मुंगेर सर्किट हाउस आदि जगहों पर देखा जा सकता है. वर्ल्ड फोटोग्राफी डे की महत्ता को बताते हुए कहा कि विज्ञान के इस चमत्कार को 19 अगस्त 1839 के दिन फ्रांस की सरकार ने सामूहिक रूप से इस फोटोग्राफी को जनहित को समर्पित कर एक इतिहास रचा था. यही कारण है कि संपूर्ण विश्व में इसी दिन वर्ल्ड फोटोग्राफी दिवस के रूप में मनाया जाता है. उदगम, उद्भव और रूपांतरण की ही बड़ी रोमांचक यात्रा रही है फोटोग्राफी की जो यूनानी ग्रीक भाषा के दो शब्द फोटोज और ग्राफोस से मिल कर बना है. फोटोज का अर्थ है प्रकाश और ग्राफोस का अर्थ है ड्रा करना है.

जल्द वर्ल्ड लेवल मैगजीन में नीरज की आयेंगी तस्वीरें

अपनी लगन और हिम्मत की बदौलत नीरज (मोगली) फोटोग्राफी के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने में में कामयाब रहे हैं. उन्होंने पत्रकारिता व जनसंचार कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अपनी पढ़ाई पूरी की. प्रारंभिक पढाई के दौरान फोटोग्राफी में रूचि बढ़ी . वह लगभग 14 सालों से लगातार तरह-तरह के फोटोग्राफी करते आ रहे हैं. विभागीय कार्यक्रम के दौरान एक फोटोग्राफर से मुलाकात हुई और उनके साथ में कैमरे की बारीकियां समझने लगे.

शुरुआती दौड़ में खुद का कैमरा न होने की वजह से काफी परेशानी आयी, लेकिन हार नहीं मानी और खुद के बचत के पैसों से अपना पहला कैमरा लिया. किसी भी फोटो को लेने के लिए आपके अंदर इसका एंगल होना जरूरी है तभी आप अपने पसंद का शॉर्ट ले सकते हैं. आज इनके पास लगभग 10 कैमरे हैं और बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. हाल में ही यूनाइटेड नेशन कंट्री हेड के साथ प्रोजेक्ट पर काम किया है. इनकी तस्वीर को वर्ल्ड लेवल मैगजीन में दिखायी जायेगी. इंडिया पोस्ट, नाबार्ड, डब्ल्यूएचओ, आइटीसी, बिपार्ड, बिहार-झारखंड सरकार, यूएन जैसे संगठनों के साथ काम कर रहे हैं.

रंजीत की तस्वीरें स्थानीय समुदायों के साथ घनिष्ठ संबंधों का है प्रमाण

रंजीत ने पहली बार 2010 में किलकारी में एक छात्र के रूप में फोटोग्राफी शुरू की. कला और फोटोग्राफी की दुनिया में यह उनका पहला परिचय था. इनकी तस्वीरें न केवल उनकी जन्मभूमि की सांस्कृतिक परंपराओं का दस्तावेज हैं, बल्कि स्थानीय समुदायों के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों का प्रमाण भी हैं. इनके खींची गयी तस्वीर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित की जा चुकी है. इन्होंने बिहार की गुफाएं, अपना पटना जैसी पुस्तक में भी कार्य किया है. इनके खींची हुई तस्वीरें कई कैटलॉग और मैगजीन में छपी है.

फोटोग्राफी के क्षेत्र में बहुत ही सक्रिय है. अर्धशिला द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में इन्हें युवा फोटोग्राफर के तौर पर मौका मिला. कला संस्कृति युवा विभाग बिहार सरकार द्वारा आयोजित कला मंगल में फोटोग्राफी की प्रदर्शनी भी लगी है. इन्हें फोटोग्राफी के क्षेत्र में कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान भी प्राप्त हुआ है. इनका ज्यादातर फोटोग्राफ पारंपरिक कला, त्योहार, धरोहर प्रचलित है जो उनके काम का एक निरंतर विषय है. उनके कलात्मक करियर की शुरुआत के बाद से उनके कार्यों को ललित कला अकादमी, पटना, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और फोटोग्राफिक एसोसिएशन ऑफ बिहार जैसे विभिन्न समूहों के शो में प्रदर्शित किया गया है.

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पैशन को प्रोफेशन बना रिया फूड फोटोग्राफी में बनायी पहचान

कोरोना पीरियड में लगे लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुए रिया सिन्हा ने अपने पैशन को प्रोफेशन में बदला है. दरअसल, रिया को फोटोग्राफी रूचि थी, जिसे वह करियर ऑप्शन में शामिल कर ली. वर्तमान में वह सोशल मीडिया के फूड फोटोग्राफी में अपनी पहचान बना चुकी हैं. विभिन्न बड़े ब्रांड के साथ वह काम कर रही हैं. इनकी ली गयी फूड फोटोग्राफ्स जोमैटो, स्विगी जैसी कई बड़ी कंपनियां भी यूज करती हैं. हाल ही में एनआइटी पटना व पीडब्ल्यूसी में लेक्चर के लिए बुलाया गया था. वह बताती हैं आने वाले दिनों में एक प्लेटफार्म तैयार करेंगी, जिसके माध्यम से नये लोगों को फोटोग्राफी से जोड़ा जा सकेगा.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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