संवाददाता, पटना
छात्र संघ चुनाव में वामदलों के वोटरों ने निर्दलीय प्रत्याशियों को वोट किया. वहीं, वामदल वोटरों का एक बड़ा वर्ग एनएसयूआइ की ओर भी शिफ्ट हुआ. इसकी वजह एनएसयूआइ के छात्र नेता शास्वत शेखर के अलावा वाम संगठन के पुराने छात्र नेता सुशील हैं, जो अब कांग्रेस में आ गये हैं. इसमें उनका अहम योगदान माना जा रहा है. इस कारण वामदलों का दबदबा पीयू में कमजोर पड़ गया. पीयू छात्र संघ चुनाव 2012 में वामपंथी दल के छात्र संगठन एआइएसएफ ने दो सीटों पर कब्जा जमाया था. लेकिन उसके बाद से वामदल कमजोर होता चला गया.टीम ओसामा ने कहा-यह वंचित वर्ग की जीत
वहीं, पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में महासचिव पद पर टीम ओसामा द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सलोनी राज ने अप्रत्याशित रूप से एकतरफा जीत हासिल की. इस जीत के साथ उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के बीच अपनी अहम पहचान बनायी और अपने समर्थकों के बीच जोश भर दिया. टीम ओसामा के प्रमुख ओसामा खुर्शीद ने इस जीत को समाज के वंचित वर्ग की जीत बताया और कहा कि यह सफलता उन छात्रों की जीत है, जो हमेशा सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करते हैं. सलोनी की यह जीत उनके संघर्ष की प्रतीक है.
अपनी मेहनत से जीता चुनाव
इसी तरह छात्र जदयू को चुनाव मैदान में हटने के बाद उपाध्यक्ष पद पर जीते धीरज ने खुद से मेहनत की. धीरज की मेहनत को देखते हुए हॉस्टल व अन्य छात्र धीरज के साथ हो गये. चुनाव से चार दिन पहले धीरज की मेहनत को देखते हुए धीरज को सभी हॉस्टलों का साथ मिला और धीरज ने अपनी मेहनत से निर्दलीय चुनाव जीत लिया.
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