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रांची में नहीं रखते हैं फोन महेंद्र सिंह धौनी

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी फुटबॉल के गोलकीपर से विकेटकीपर बने हैं. उनके कोच चंचल भट्टाचार्या ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में बताया कि जब वह रांची आते हैं तो मोबाइल अपने पास नहीं रखते हैं. मोबाइल उनकी पत्नी रखती हैं.

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान धौनी के कोच चंचल भट्टाचार्या से प्रभात खबर की विशेष बातचीतधर्मनाथ, पटना. भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी फुटबॉल के गोलकीपर से विकेटकीपर बने हैं. धौनी की प्रतिभा को तराश कर क्रिकेट की दुनिया में अलग मुकाम दिलाने वाले उनके कोच चंचल भट्टाचार्या ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में बताया कि महेंद्र सिंह धौनी काफी मेहनती और अनुशासित खिलाड़ी हैं. वर्ष 1996 में रांची के डीएवी विद्या मंदिर स्कूल की फुटबॉल टीम में धौनी गोलकीपर थे. एक क्रिकेट मैच दौरान स्कूल की टीम का विकेटकीपर नहीं आया, तो धौनी को विकेटकीपिंग करने का मौका मिला. उनके कोच ने बताया कि उस मैच में धौनी ने 40 ओवर में मात्र चार एक्स्ट्रा दिये. इसके मैंने धौनी को अपने कमांडो क्रिकेट क्लब में लेकर आया. उन्होंने बताया कि धौनी की लाइफस्टाइल अलग है. जब वह रांची आते हैं तो मोबाइल अपने पास नहीं रखते हैं. मोबाइल उनकी पत्नी रखती हैं. चंचल भट्टाचार्य ने बताया कि धौनी का दिमाग काफी तेज है़ सभी महत्वपूर्ण मोबाइल नंबर उनका याद रखते हैं. इसके अलावा, वह काफी दूर की सोचते हैं. उनकी मेमोरी गॉड गिफ्टेड है.

दिल्ली जाकर करते थे प्रैक्टिस

धौनी के बारे में चंचल भट्टाचार्या ने बताया कि वह बहुत संघर्ष के बाद क्रिकेट में अपनी पहचान बनायी़ बीते दिनों को याद करते हुए भट्टाचार्या ने बताया कि धौनी आज भी प्रतिदिन चार से पांच घंटा प्रैक्टिस करते हैं. वे कब प्रैक्टिस करते हैं किसी को पता नहीं चलता. धौनी समय से काफी पहले ग्राउंड पर पहुंच जाते थे. उस समय रांची में बढ़िया ग्राउंड नहीं होने की वजह से धौनी दिल्ली जाकर भी प्रैक्टिस करते थे. दिल्ली में 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में समर क्रिकेट होता था. धौनी वहां बनियान में क्रिकेट खेलते थे.

अमिताभ चौधरी ने काफी मदद की

झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन स्व अमिताभ चौधरी ने धौनी की काफी मदद की थी. धौनी के कोच ने बताया कि भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ता किरण मोरे धौनी को टीम से हटाना चाहते थे़ अमिताभ चौधरी ने किरण मोरे से कहा कि एक मौका दें. इसके बाद धौनी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और निरंतर आगे बढ़ते गये.

सोनपुर के मूल निवासी हैं चंचल भट्टाचार्या

महेंद्र सिंह धौनी के कोच चंचल भट्टाचार्या मूल रूप से बिहार के सोनपुर के पहाड़ी चौक के मूल निवासी हैं. उन्होंने बताया कि उनके चाचा का परिवार वहां रहता है. दादी भोजपुरी अच्छी बोलती थी.

नौकरी मिले, तो रुकेगा बिहार के क्रिकेटरों का पलायन

भट्टाचार्या ने बताया कि बिहार में क्रिकेट की प्रतिभा को निखारने की जरूरत है़ यहां वैभव सूर्यवंशी जैसे कई क्रिकेटर हैं. क्रिकेट खिलाड़ियों को बिहार में नौकरी मिले तो उनका दूसरे राज्यों में पलायन नहीं होगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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