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बिहार में दाखिल खारिज अपील के 45.35 फीसदी मामले लंबित, पढ़िए सरकार का क्या है फरमान…

अपर मुख्य सचिव ने पिछले दिनों समीक्षा में पाया था कि बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम, 2009 के तहत पूरे बिहार में 11628 वाद दायर किये गए हैं. इसमें से मात्र 6355 वादों का निष्पादन किया गया है. साथ ही 5273 वाद लंबित हैं.

Bihar mutation news राज्य में दाखिल खारिज अपील के करीब 45.35 फीसदी मामले लंबित हैं. इन मामलों का जल्द से जल्द समाधान करवाने का निर्देश सभी प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम को दिया गया है. साथ ही कहा गया है कि भूमि विवाद निवारण अधिनियम, 2009 के तहत दाखिल खारिज अपील मामलों के समाधान की निर्धारित समयसीमा 90 दिन तय है. इसमें नये वादों का निराकरण करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही 90 दिन से अधिक लंबित वाले वादों का निराकरण त्वरित गति से करने के लिए कहा गया है. इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और डीएम को पत्र लिखा है.

इस पत्र में कहा गया है कि राज्य में भूमि विवाद के मामलों और समस्याओं के विरुद्ध प्रभावी और कारगर कार्रवाई के लिए बिहार भूमि विवाद निवारण अधिनियिम्, 2009 लागू है. इसके तहत अधिकार अभिलेखों, चौहद्दी, राजस्व अभिलेख की प्रविष्टियों, रैयती भूमि पर गैर कानूनी दखल, लोक भूमि के आवटियों की बेदखली से संबंधित समस्याओं का निराकरण किया जाता है. इस अधिनियम के तहत राज्य के विभिन्न अनुमंडलों में वाद दायर और उनका निराकरण हो रहा है. भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं (डीसीएलआर) के द्वारा पारित आदेशों के क्रियान्वयन के लिए भी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.

लंबित वादों के निराकरण का निर्देश

अपर मुख्य सचिव ने पिछले दिनों समीक्षा में पाया था कि बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम, 2009 के तहत पूरे बिहार में 11628 वाद दायर किये गए हैं. इसमें से मात्र 6355 वादों का निष्पादन किया गया है. साथ ही 5273 वाद लंबित हैं. इसमें से 90 दिनों से अधिक समय से लंबित वादों की संख्या-3373 है. इस प्रकार निष्पादित वादों की संख्या मात्र 54.65 प्रतिशत है. इनके जल्द निराकरण का निर्देश दिया गया.

आवेदक का पक्ष सुने बिना वाद नहीं होगा खारिज

सभी भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि आवेदक का पक्ष सुने बिना दाखिल खारिज अपील के वादों को खारिज नहीं किया जायेगा. साथ ही बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम, 2009 की धारा-9 (1) के तहत वाद दायर होने की तिथि से अधिकतम तीन माह के अंदर उसका अंतिम न्याय-निर्णय पारित करना होगा. साथ ही काउजलिस्ट और आदेश को संबंधित पोर्टल पर समय पर अपलोड करवाना होगा. इसके साथ ही सप्ताह में चार दिन बिहार भूमि विवाद निवारण अधिनियम के तहत न्यायिक कार्य सम्पन्न करना होगा. भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं के कामकाज की नियमित समीक्षा करने का निर्देश संबंधित प्रमंडलीय आयुक्ताें और डीएम को दिया गया है.

RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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