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नीतीश की यात्राएं-11 : जिस गांव में कभी बड़े अधिकारी नहीं पहुंचे वहां सीएम ले लगा दिया जनता दरबार

Nitish Kumar Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर प्रदेश की यात्रा पर हैं. 2005 में नवंबर महीने में मुख्यमंत्री बनने के पूर्व वे जुलाई महीने में न्याय यात्रा पर निकले थे. विकास यात्रा उनकी दूसरी यात्रा थी. नीतीश कुमार की अब तक 15 से अधिक यात्राएं हो चुकी हैं. आइये पढ़ते हैं इन यात्राओं के उद्देश्य और परिणाम के बारे में प्रभात खबर पटना के राजनीतिक संपादक मिथिलेश कुमार की खास रिपोर्ट की 11वीं कड़ी..

Nitish Kumar Yatra: विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री के लिए अवसर और चुनौतियां एक साथ चल रही थी. अवसर यह कि उनके चार साल के कामकाज का जमीनी असर साफ दिखाई दे रहा था. मुझे याद है, मुख्य सचिवालय में मुख्यमंत्री रात्रि के आठ से नौ बजे तक काम करते. मुख्यमंत्री के सचिवालय में बैठे देख हम भी ठहर गये. थोड़ी देर में जब वह अपने कक्ष से मुख्यमंत्री आवास जाने के लिए निकले तो सामने देख कहा– “अरे आप अभी तक?” हमने कहा – “जब सरकार का मुख्यमंत्री देर शाम तक काम कर सकते हैं तो पत्रकारों की भी डयूटी है कि वह इन कार्यों को खबर के रूप में लोगों तक पहुंचाये.” खैर, उनकी दिन-रात की मेहनत का असर जमीन पर दिख रहा था. अपनी सरकार की उपलब्धियों को वे अपनी आखों से देख रहे थे. शासन को लेकर लोगों की भावनाओं से रू-ब-रू हो रहे थे. विकलांगता को लेकर मुख्यमंत्री ने कई निर्देश दिये थे.

इस गांव में कभी बड़े अधिकारी भी नहीं पहुंचे थे

छपरा के जनता दरबार में बेलवा गांव से करीब 15 किलोमीटर की दूरी ट्राइसाइकिल से तय कर एक युवती आगे की पढ़ाई के लिए मदद मांगने आयी थी. वहीं 70 साल की शकीला को इंदिरा आवास की दरकार थी. यहां जाकर यह पता चला कि इन गांवों में आजादी के इतने साल बाद भी कोई मुख्यमंत्री तो दूर बड़े नेता व अधिकारी नहीं पहुंचे थे. मुजफ्फरपुर-दरभंगा पथ पर स्थित एक पेट्रोल पंप के भीतर गुजारनी पड़ी रात. पांच फरवरी को विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट के जारंग गांव पहुंचे. जारंग की सभा कवर करने के लिए हम पत्रकारों को मुजफ्फरपुर दरभंगा पथ पर स्थित एक पेट्रोल पंप के भीतर रात गुजारनी पड़ी थी. जारंग मुजफ्फरपुर-दरभंगा मुख्य सड़क के किनारे बसा गांव है. जारंग की सभा कवरेज में कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए हमलोगों को निकट एक ठौर की जरूरत थी. देर शाम जब मुख्यमंत्री जारंग पहुंचे तो हम पत्रकारों की टोली भी साथ थी. जब मुख्यमंत्री रूटीन कार्यों से फ्री हुए तो हमलोगों ने अपने विश्राम की जगह तलाशनी शुरू की. बहुत मुश्किल से एक जगह मिली, जहां ठहरने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं था. यह जगह थी, जारंग.

पुआल का गठ्ठर पर सोकर बितायी रात

मुख्य सड़क पर एक कम चलने वाला पेट्रोल पंप दिखा. हमारे साथ चल रहे एक पत्रकार के साथ वहां के एक कर्मी का संपर्क था. उसने बात की. तय हुआ कि हमलोग, अंदर जहां एक कमरा था, वहां ठहर सकते हैं. पेट्रोल पंप पर कार्यरत एक कर्मी पड़ोस से कुछ पुआल का गठ्ठर ले आया और कमरे में बिछा दी. सर्दियों का समय था, वैसे भी खुले में नेशनल हाइवे पर कुछ अधिक ही ठंड का अहसास हो रहा था. खैर, पेट्रोल पंप के एक कमरे में रात गुजारने की व्यवस्था तो हो गयी. अब संकट भोजन का था. नेशनल हाइवे पर ही थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर भोजन का भी हल निकलता दिखा. ढ़ाबेनुमा एक होटल में रोटी और सब्जी-भुजिया का जुगाड़ हो चला. डिनर के बाद हम पहुंचे अपने ठिकाने. मच्छर और ठंड की वजह से रात किसी तरह बीत पायी. जेहन में सुबह की सैर के समय मुख्यमंत्री के साथ पहुंचने की प्लानिंग तैर रही थी. इधर, जारंग में मुख्यमंत्री देर रात तक आला अधिकारियों के साथ बैठक में लीन रहे. मुख्यमंत्री ने साथ चल रहे अंजनी कुमार सिंह, सीके मिश्रा, अनूप मुखर्जी और राजेश भूषण जैसे सीनियर अधिकारियों को अपने कैंप में तलब किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम तीन-चार दिनों से गांव-गांव घूम रहे हैं. हमारी इच्छा लोगों के सुझाव को सरकारी योजना में शामिल करने की है. अच्छे सुझावों पर अमल होना चाहिए. सभी आला अधिकारी भी सहमत थे.

और कक्षा तीन का छात्र शुभम बन गया रिसोर्स पर्सन

सुबह की सैर के बाद जब मुख्यमंत्री का जनता दरबार आयोजित हुआ तो वहां कक्षा तीन के एक छात्र शुभम पर सीएम की नजर पड़ी. शुभम निकट के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय भरतनगर के कक्षा तीन का छात्र था. उसने मुख्यमंत्री को कहा कि वह मंच पर आकर नारी सशक्तीकरण को लेकर अपनी बात रखना चाहता है. सीएम ने उसे मौका दिया. शुभम ने अपनी बात रखी तो मुख्यमंत्री बहुत खुश हुए. शुभम को पांच हजार रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की. साथ ही तत्काल बिहार शिक्षा परियोजना के निदेशक राजेश भूषण को बुला कर कहा कि इस लड़के को रिसोर्स पर्सन बनाइये.
जारंग में ही मुजफ्फरपुर रेड लाइट एरिया से आयी युवती नसीमा ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की. नसीमा की मांग थी कि रेड लाइट एरिया में रह रहे बच्चों खास कर लड़कियों की पढ़ाई की व्यवस्था हो. जारंग से निकल जब मुख्यमंत्री मुजफ्फरपुर की सभा में आये तो उन्होंने शहीद खुदी राम बोस मैदान में पोने तीन अरब की योजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन किया. यहां उन्होंने गंडक बांया नहर परियोजना को जमीन पर उतारने की घोषणा की.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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