आनंद तिवारी, पटना जम्मू के रियासी जिले में स्थित दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज, चिनाब रेलवे ब्रिज बनकर पूरी तरह से तैयार हो गया है और जल्द ही इसका उद्घाटन भी हो जायेगा. इस ब्रिज के शुरू होने से अब पटना सहित पूरे बिहार से अगर माता वैष्णो देवी और अमरनाथ का दर्शन के साथ-साथ कश्मीर का हिल स्टेशन गुलमर्ग की बर्फबारी देख सकते हैं. 272 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग में 1315 मीटर का ये रेलवे ब्रिज से अगर आप जा रहे हैं तो आपको ट्रेन में बैठे-बैठे जम्मू कश्मीर की खूबसूरत वादियों का दीदार होगा. इसके अलावा जम्मू में ही भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज अंजी खड्ड पुल भी बनाया गया है. इन दोनों ब्रिज का उद्घाटन जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा एक साथ किया जायेगा. चिनाब ब्रिज के बनने से उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक का सपना अब साकार हो गया है.
रेलवे अधिकारियों के अनुसार पटना से ट्रेन नंबर 12355 अर्चना एक्सप्रेस या ट्रेन नंबर 12331 हिमगिरी एक्सप्रेस से आप जम्मू स्टेशन और फिर जम्मू से चलने वाली नयी वंदेभारत एक्सप्रेस से आप चिनाब ब्रिज होते हुए संबंधित तीर्थ और पर्यटन स्थलों पर जा सकेंगे. रेलवे अधिकारियों के अनुसार चिनाब नदी पर ब्रिज के बन जाने से अब कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल कनेक्टिविटी का सपना आखिर पूरा हो गया है. रेलवे सूत्रों के अनुसार शुरुआत के पहले दिन श्रीनगर से माता वैष्णो देवी तक वंदेभारत ट्रेन चलायी जायेगी जिसका सफर 272 किमी लंबा होगा, ट्रेन 3.15 घंटे में सफर पूरा करेगी. आने वाले समय में इस रूट पर ट्रेनों की संख्या में और इजाफा किया जायेगा.
अंजी नदी के तल से 331 मीटर की ऊंचाई पर बना ब्रिजजम्मू के अंजी नदी के तल से 331 मीटर की ऊंचाई पर बना यह अंजी पुल 725 मीटर तक फैला है. इसे इसकी नींव से 193 मीटर ऊपर एक उल्टे वाय-आकार के तोरण द्वारा सहारा दिया गया है, जिसमें 96 केबल स्थिरता सुनिश्चित करते हैं. इसके निर्माण में 8,200 मीट्रिक टन से अधिक संरचनात्मक स्टील का इस्तेमाल किया गया है.
– चिनाब नदी की तलहटी से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये रेल पुल, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है.
– कुतुब मीनार की ऊंचाई का 4 गुना, एफिल टॉवर से 35 ऊंचा और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से 135 मीटर ऊंचा है ये ब्रिज– इस पुल की कुल लंबाई 1315 मीटर है
– इस पुल का मुख्य आकर्षण इसका आर्च है जो 467 मीटर का है– इस ब्रिज में टोटल 17 स्पैन (स्टील के टॉवर) हैं जो इसे मजबूती प्रदान करते हैं
– इस ब्रिज के निर्माण में तकरीबन 28000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया है जो एफिल टावर बनाये जाने में इस्तेमाल किये गये स्टील का कुल चार गुना है– यह ब्रिज 266 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती हवाओं को सहने की क्षमता है. इसके अलावा -20 डिग्री सेल्सियस में भी ऑपरेशनल क्षमता है
क्या कहते हैं नॉर्दन रेलवे के अधिकारीरेलवे मंत्रालय की ओर से न केवल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का काम पूरा किया है. बल्कि इस रेल लाइन से आसपास के सैकड़ों गांवों को सड़कों से भी जोड़ा है. अकेले सिर्फ चिनाब रेलवे ब्रिज के आसपास में बसे करीब 73 गांवों को भी 225 किमी सड़क से जोड़ा गया है. जल्द ही चिनाब व अंजी रेलवे ब्रिज का लोकार्पण किया जायेगा. इसकी तैयारी रेलवे की ओर से लगभग हो चुकी है. चिनाब एफिल टॉवर से भी ऊंचा है. करीब 36 सुरंग पार कर इस ब्रिज से लोग आवागमन करेंगे. ब्रिज के बन जाने से अब कश्मीर की घाटियों व श्रीनगर आना-जाना और आसान हो जायेगा.
राजेश खरे, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी, नॉर्दन रेलवेडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है