संवाददाता, पटना आंकड़ों के संग्रहण, विश्लेषण और प्रकाशन में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय को कुछ समय पहले तक एक से दो वर्ष लग जाते थे. सांख्यिकी प्रक्रिया को पूरा करने में इतना अधिक समय लगने के कारण कई आंकड़े जारी हेने से पहले ही बासी और बेकार हो जाते थे. लेकिन अब यही काम एडवांस डिजिटल तकनीक की मदद से एनएसओ महज डेढ़ से दो महीने में पूरा कर ले रहा है. इससे न केवल इन आंकड़ों की उपयोगिता बढ़ी है बल्कि योजना बनाने और वस्तुस्थिति विश्लेषण में इनका इस्तेमाल भी बढ़ा है, जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है.
पटना क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत 17 जिले
14 योजनाओं पर हो रहा काम
वर्तमान में एनएसओ द्वारा विभिन्न मंत्रालयों की आवश्यकता अनुसार 14 प्रमुख योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनमें शामिल हैं:• वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण – पंजीकृत विनिर्माण क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धन का आकलन.
• सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण – 1950 से निरंतर संचालित, घरेलू एवं उद्यम इकाइयों से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों की पूर्ति.
• आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण – रोजगार और बेरोजगारी पर विस्तृत जानकारी प्रदान करना.• असंगठित क्षेत्र का वार्षिक सर्वेक्षण – असूचित सूक्ष्म इकाइयों के आर्थिक योगदान का आकलन .
• उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एवं थोक मूल्य सूचकांक – हर माह की 12 और 14 तारीख को प्रकाशित करना.• ग्रामीण मूल्य संग्रहण – ग्रामीण मजदूरी दर निर्धारण में उपयोगी.
• शहरी फ्रेम सर्वेक्षण – नगरीय आबादी के समुचित नमूना चयन हेतु आधार प्रदान करना.• पूंजीगत व्यय सर्वेक्षण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सर्वेक्षण, और अन्य पायलट स्टडी
वर्जनपहले डेटा प्रकाशन में कागज आधारित संग्रहण और बहुस्तरीय प्रोसेसिंग के कारण एक से दो वर्ष लगते थे. अब उन्नत सॉफ्टवेयर से समय में कमी आयी है, त्रुटियां घटी हैं और डेटा छह सप्ताह या उससे भी कम समय में सार्वजनिक हो रहा है.
रोशन लाल साहू, उप महानिदेशक, क्षेत्रीय कार्यलय, एनएसओ पटना
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