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आंकड़ों के संग्रहण और विश्लेषण में कभी एक से दो वर्ष लगते थे, अब महज डेढ़-दो महीने में पूरा कर ले रहा एनएसओ

आंकड़ों के संग्रहण, विश्लेषण और प्रकाशन में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय को कुछ समय पहले तक एक से दो वर्ष लग जाते थे.

संवाददाता, पटना आंकड़ों के संग्रहण, विश्लेषण और प्रकाशन में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय को कुछ समय पहले तक एक से दो वर्ष लग जाते थे. सांख्यिकी प्रक्रिया को पूरा करने में इतना अधिक समय लगने के कारण कई आंकड़े जारी हेने से पहले ही बासी और बेकार हो जाते थे. लेकिन अब यही काम एडवांस डिजिटल तकनीक की मदद से एनएसओ महज डेढ़ से दो महीने में पूरा कर ले रहा है. इससे न केवल इन आंकड़ों की उपयोगिता बढ़ी है बल्कि योजना बनाने और वस्तुस्थिति विश्लेषण में इनका इस्तेमाल भी बढ़ा है, जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है.

पटना क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत 17 जिले

पटना और मुजफ्फरपुर में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के दो क्षेत्रीय कार्यालय हैं. इनमें मुजफ्फरपुर क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत 20 जिले और पटना क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत 18 जिले हैं. पटना क्षेत्रीय कार्यलय के अंतर्गत गया और भागलपुर में दो क्षेत्रीय उपकेंद्र भी हैं. पटना क्षेत्रीय केंद्र के अंतर्गत पटना प्रमंडल के छह जिला कवर होते हैं जबकि गया जी के क्षेत्रीय उपकेंद्र के अंतर्गत पांच जिले और भागलपुर क्षेत्रीय उपकेंद्र के अंतर्गत छह जिले कवर किये जाते हैं. ये सभी कार्यालय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के फील्ड ऑपरेशन डिविजन के अधीन कार्य करते हैँ . इनका काम राज्य में घर-घर जाकर आंकड़े एकत्र करना है. ये उद्यमों से आंकड़े एकत्र करने का कार्य भी करते हैं, जो बड़े पैमाने पर प्रतिदर्श सर्वेक्षण विधि पर आधारित होता है. कनिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी आकड़ों को संग्रहित करने का कार्य करते हैं जबकि वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी उसके विश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

14 योजनाओं पर हो रहा काम

वर्तमान में एनएसओ द्वारा विभिन्न मंत्रालयों की आवश्यकता अनुसार 14 प्रमुख योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनमें शामिल हैं:

• वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण – पंजीकृत विनिर्माण क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धन का आकलन.

• कृषि सांख्यिकी – फसल उपज और उत्पादन का राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर सटीक आकलन.

• सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण – 1950 से निरंतर संचालित, घरेलू एवं उद्यम इकाइयों से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों की पूर्ति.

• आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण – रोजगार और बेरोजगारी पर विस्तृत जानकारी प्रदान करना.

• असंगठित क्षेत्र का वार्षिक सर्वेक्षण – असूचित सूक्ष्म इकाइयों के आर्थिक योगदान का आकलन .

• उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एवं थोक मूल्य सूचकांक – हर माह की 12 और 14 तारीख को प्रकाशित करना.

• ग्रामीण मूल्य संग्रहण – ग्रामीण मजदूरी दर निर्धारण में उपयोगी.

• शहरी फ्रेम सर्वेक्षण – नगरीय आबादी के समुचित नमूना चयन हेतु आधार प्रदान करना.

• पूंजीगत व्यय सर्वेक्षण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सर्वेक्षण, और अन्य पायलट स्टडी

वर्जन

पहले डेटा प्रकाशन में कागज आधारित संग्रहण और बहुस्तरीय प्रोसेसिंग के कारण एक से दो वर्ष लगते थे. अब उन्नत सॉफ्टवेयर से समय में कमी आयी है, त्रुटियां घटी हैं और डेटा छह सप्ताह या उससे भी कम समय में सार्वजनिक हो रहा है.

रोशन लाल साहू, उप महानिदेशक, क्षेत्रीय कार्यलय, एनएसओ पटना

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